की मै वंदना करूँ अब में /
मेरे पाप कर्मो का छय हो /
तेरे पाप कर्मो का नाश हो /
ऐसे पावन पर्वत को करूँ नमन /
जो श्रध्दा भक्ति भाव से।
करता है प्रभु के चरण को स्पर्श /
उनके पाप कर्मो का नाश हो /१/
करू वंदना में शिखर सम्मेद की /
की मै वंदना करूँ अब में /
मेरे पाप कर्मो का छय हो /
तेरे पाप कर्मो का नाश हो /
वो त्रियंचगति न पाएंगे कभी /
ऐसी मान्यता है शिखर सम्मेद की /
करो वंदना पूरे भावो से / २/
करू वंदना में शिखर सम्मेद की /
की मै वंदना करूँ अब में /
मेरे पाप कर्मो का छय हो /
तेरे पाप कर्मो का नाश हो /
एक एक कण यहाँ का है पावन /
कितना रमणी है देखो मधुबन /
ऐसी पुण्यभूमि को करो सब नमन /
गुरु को नमन गुरु को नमन /३/
की मै वंदना करूँ अब में /
मेरे पाप कर्मो का छय हो /
तेरे पाप कर्मो का नाश हो //
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।