कब कहाँ किसी की भी अर्जियाँ समझती हैं,
बिजलियाँ गिराना बस बिजलियाँ समझती हैं।
गर पकड़ में आई तो पंख नोचे जाएंगे,
बाग़ की हकीकत सब तितलियाँ समझती हैं।
पहले दाने डालेगा फिर हमें फँसाएगा,
चाल यह मछेरे की मछलियाँ समझती हैं।
फ़्लैट कल्चर आया है जब से अपने शहरों में,
रोशनी की कीमत सब खिड़कियाँ समझती हैं।
चल पड़ेंगे बुलडोजर छातियों पे इनकी भी,
बिल्डरों की नीयत को झुग्गियाँ समझती हैं।
वो उमंगें नाज़ुक-सी चैट वाले क्या जाने,
प्यार वाली जो बातें चिट्ठियाँ समझती हैंll
#रामनाथ यादव ‘बेख़बर'
परिचय: रामनाथ यादव का साहित्यिक उपनाम-`बेख़बर` हैl आप पेशे से हिन्दी के अध्यापक हैंl आपको कवि,गीतकार, कहानीकार और ग़ज़लकार के रूप में जाना जाता हैl आपकी जन्मतिथि-८ नवम्बर १९७८ और जन्म स्थान-चापदानी, हुगली(पश्चिम बंगाल) हैl शिक्षा-एम.ए.(हिन्दी) तथा बी.एड. होकर कार्यक्षेत्र-हिन्दी के अध्यापक(काशीपुर)हैंl आपका शहर कोलकाता(राज्य-पश्चिम बंगाल) है,जबकि वर्तमान निवास बाँस बागान,चापदानी और स्थाई निवास सिताब दियारा जिला-छपरा (बिहार) हैl सामाजिक क्षेत्र एवं गतिविधि में आप साहित्यिक संस्था-सृजन मंच और हिन्दी साहित्य शलभ से जुड़े हैंl मंच संचालक होने के साथ ही अकादमी के जरिए प्रतियोगी परीक्षा के लिए लम्बे समय सेनिःशुल्क मार्गदर्शन मुहैया करा रहे हैं। आपके खाते में प्रकाशन-मुश्किल का हल निकलेगा(ग़ज़ल संग्रह),फूलों की चुभन(प्रेम काव्य) आदि है तो विविध पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हैं। सम्मान के रूप में कता और मुक्तक सम्मान,शिल्प सम्मान तथा ब्रजलोक सम्मान ख़ास हैl उपलब्धि यह है कि,आपने स्थानीय टी.वी. पर भी काव्य पाठ किया है। आपके लेखन का उद्देश्य-मानवीय मूल्यों का प्रचार-प्रसार करना,समाज को सही दिशा देना और देशप्रेम की भावना जागृत करने के साथ ही अपनी सभ्यता,संस्कृति की गौरव की रक्षा करना तथा महत्व को रेखांकित करना है।