ये उन दिनों की बात थी

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bharti vikas preeti
आज माँ के साथ  दीवाली की  सफाई मे  मैं हाथ बंटा रही थी | यकायक सफाई करते-करते एक छोटा बक्सा हाथ लगा।
“माँ से पुछा,तो माँ हल्का मुस्कुरा कर बोली”,
 ये…..ये मेरी और तेरे पापा की वो यादें हैं, जिन्हें देख हमारे लबो पे मुस्कुराहट आ जाती है।
मैंने झट से मां के हाथ से  बक्सा छीना और बेसब्री से कहा बताओ न, क्या है इसमें ,ताला क्यों लगा रखा है।
“माँ ने बक्सा खोला तो कुछ खत,कार्ड्स थे”
मैंने पढ़ने की उत्सुकता दिखाई,
लेकिन कोई झिझक थी कि रुक गई,माँ शायद समझ गई ,उनमे से एक खत निकाल मुझे पढ़ने को दिया।
पापा ने लिखा था ,माँ को जब मेरे नाना जी बीमार थे,माँ पापा की शादी के पहले की बात थी।
पापा ने मानो ऐसे शब्द लिखे थे कि मानो वह साक्षात वहीं उपस्थित हैं और माँ को सांत्वना दे रहे और उनका दुख बांट रहे हो।
“लेखनी बिल्कुल चित्रित थी”
पहले खत यू लिखे जाते थे, मानो पूरा दिल का हाल बयां होता था।
फिर माँ अपने बीते लम्हों मै मानो खो गईं, ख़त मे यार का चेहरा दिखता था।देखने को मन तरसता था।
और डाकिए को देख ऐसी खुशी होती थी कि पूछो ही मत।
मैंने मस्ती  मे कहा “क्या बात है”
पत्रों के जरिए  प्रेम,बिन देखे,बिना बात किए इतने महीने रहना सिर्फ खतों के जरिए ,
“ये है असली इश्क़”
माँ मुस्कुराने लगीं और बोली हाँ और तो और बेकरारी बढ़ने के बाद जब मिलना होता है ,तब तक इतनी तस्वीरें बन जाती थी, यार की और फिर जब देखते है तो ऐसा लगता है,” बस” वक़्त अब रुक जाए।
इतने मे माँ वापस निकल आई अपनी बीती यादों से।
पापा कब हमारे पास आकर बैठे हमे पता ही नही चला था।
“अरे चुप-चाप हमारी बातें सुन रहे” माँ ने कहा पापा को।
नहीं उन यादों को याद कर रहा था ,अच्छा लगा।पापा ने जवाब दिया।
दोनों ने आँखों ही आँखों मे बहुत कुछ बातें की और शर्म से हंस पड़े।
#भारती विकास(प्रीती)

matruadmin

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।