मैंने तुमको खो दिया इस जिंदगी की कसमकश में किन्तु तुमको देख पाया प्यार की प्यारी बहस में प्रेम की पीड़ा विरह के अश्रुओं को याद करके फिर तुम्हारे रंग में ढलना चाहता हूँ, मैं तुम्हारे साथ चलना चाहता हूँ।। जिंदगी को घोलकर के जब पिया तब होश आया कौन […]
देखो बसंत की ऋतु है आई। धरा को कंचन सा है सजाई। लहरा रही है सरसों ये प्यारी। हरियाली को भी संग- संग लहराई। संग फूलों की खुशबू चली आई। सोलह श्रृंगार से सजी है क्यारी। प्रकृति भी बदली-बदली नज़र आई। मानो प्रेम के गीत गा रही। कर्ण प्रिय लग […]
प्रभु ने सृष्टि को क्या खुब बनाया सुंदरता को मानो पृथ्वी पर बिखराया। रंग बिरंगी बिखरा समां कितना प्यारा लगता जहां। चहचहाते पंछियों को देखा सुनहरा रंग अंबर में फैला। बारिश की टिप-टिप बूंदों को सुनाया । तारों की झिलमिलाहट को चमकाया। हवाओं की शीतलता को गुनगुनाना। लहरों […]
आज माँ के साथ दीवाली की सफाई मे मैं हाथ बंटा रही थी | यकायक सफाई करते-करते एक छोटा बक्सा हाथ लगा। “माँ से पुछा,तो माँ हल्का मुस्कुरा कर बोली”, ये…..ये मेरी और तेरे पापा की वो यादें हैं, जिन्हें देख हमारे लबो पे मुस्कुराहट आ जाती है। मैंने झट […]
तारीखों पे लिखें जो कोई नज़्म,तो काफि बातें याद आती हैं। कहीं ख़ुशी तो कहीं गम भरी तारीखें याद आती हैं। खुशी की हो या हो गम की,तारीख़ तो निकल जाती है। नई तारीख़ के साथ नई सुबह, सूरज की किरणों संग हमारे द्वारे दस्तक दे जाती है। फिर एक […]
बस मोबाइल में टक-टकी लगाए इस डिजिटल की दुनियां में पोते-पोतियों का चेहरा तो दिख जाता है,लेकिन गले लगाने को तो तरस गई हूं। “खुद ही खुद बड़-बड़ा रही थी” वह भी क्या दिन थे जब दोनों बेटों की किटर-किटर,एक दूसरे की चुगली,एक दुसरे को फिर बचाना, उनकी […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।