देश के वीर जवानों ने
अपनी भारत मां की
शान बढ़ायी है ।
जब-जब बूरी नजर
दुश्मनों ने डाली है
वीर जवानों ने उनकी
अच्छी से बैंड बजायी है।
चाहे युद्ध हो या हो वोर्डर
बूरा करोगे तो चलेगा बूलडोजर।
अब न कोई फिक्र होगा
फिजाओं में केसरिया
और हरा रंग होगा ।
अशांति हमें वर्दाश्त नहीं
हमें ज्यादा उकसाओगे
दुनिया से खूद मिट जाओगे।
सोच समझ कर करो काम तुम
नही तो 71में खूद को पाओगे।
सोच बदलना तुम सीख नहीं सकते
बिना रहमो-करम के जी नहीं सकते।
इतनी तुम्हारी औकात नहीं
जितनी तुम्हारी मजबूरी है।
सारा जग जान गया है
तू सिर्फ हाथो की कठपूतली है।।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति