गूंज उठी हुंकार देश में,
कश्मीर को हमें बचाना है।
कश्मीर की चोटी पर ,
झंडा अपना फहराना है ।
निर्दोषों का खून बहाकर ,
लाशों पर महल सजाए हैं ।
औरों के चिराग बुझा कर ,
अपने घर दीप जलाए हैं।
तुम्हारी हठधर्मिता को ,
अब हमें कफन पहनाना है।
कश्मीर की चोटी पर ,
झंडा अपना फहराना है ।
दोस्ती कर धोखेबाजी की,
पाक उसे भूल ना पाएंगे
घुसपैठ की चोरी के लिए
तुझे माफ कर न पाएंगे।
तुम्हारी इस गद्दारी को ,
अब हमें सबक सिखाना है
कश्मीर की चोटी पर ,
अपना झंडा फहराना है
अमर शहीदों के अंग भंग कर ,
जश्न तुम मनाते हो ।
कायरों की तरह वारकर,
शेरो की तरह गुर्राते हो ।
तुम्हारी घिनौनी हरकतों का ,
अब पर्दाफाश कराना है ।
कश्मीर की चोटी पर ,
अपना झंडा फहराना है।
तन में एक बूँद खून की,
एक इंच कश्मीर नहीं देंगे।
पाक तुम्हारे नापाक इरादे,
अब पूर्ण नही होने देंगे ।
पाश्विकता के उच्च शिखर को ,
अब जमीं पर लाना है ।
कश्मीर की चोटी पर ,
अपना झण्डा फहराना है
#आशा जाकड़