#नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )
Read Time52 Second
हर दम घमंड में चुर, मिट्टी का पुतला बहुत मगरूर ।
हर पल दूसरे को नीचा दिखाने का लुत्फ उठा रहा है।।
मिट्टी में एक दिन मिलना है सभी को पता है उसे ।
क्यों फिर दूसरे की मिट्टी को छोटा बता रहा है।।
छोटा है अस्तित्व मिट्टी के दीया तो क्या हुआ,
जग में उजाला बहुत दूर तक फैला तो रहा है।
अपने – अपने मकबरों को दूसरे से बड़ा बता रहा है।
जमीं मरने के बाद तब भी दूसरे के जितनी ही पा रहा है।।
कितनी भी कर ले कोई कोशिश,कुछ भी ना ले जाएगा।
मिट्टी का पुतला एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगा।।
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
February 2, 2018
शौर्य,शील और प्रेम की अदभुत गाथा ‘पद्मावती’
-
August 18, 2020
देश के हलात खराब है,क्या करोगे तुम देखकर
-
September 20, 2020
अंग्रेजी हटाए बिना हिंदी कैसे लाएँगे ?
-
April 24, 2020
परशुराम
-
July 15, 2017
सावन का अहसास