एक टीका जिदंगी का: कोरोना वैक्सीन पर बेवजह की हायतौबा

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समस्या में समाधान ढूढना मौकापरस्तों की फितरत होती है, चाहे मौका कुछ भी हो ऐसे लोग अपनी कुत्स‍ित महारत दिखाई देते है। बदस्तुर आज सारा विश्व कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है, लोग बेमौत मारे जा रहे है, इस बीच कुछ सूझ नहीं रहा है। उसमें से एक उम्मीद की एक किरण नजर आती है, उस पर बेलगामी तत्थाकथि‍त सत्तालोलुप राजनेता, ज्ञानशोधकों की बदजुबानी जहर घोलने में मुस्तैदी से लगी हुई है। इल्म, बडी शि‍दृत से चिकित्सकों, वैज्ञानिकों और परीक्षण स्वंय सेवकों के प्राणपण से तैयारी हुई मेड इन इंडिया वै‍क्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन पर बेवजह संदेह उत्पन्न होने लगा। प्रतिभूत सप्ताह भर पूर्व चालु हुए वैक्सीनेशन में प्रथम श्रेणी के कोरोना योद्धाओं की संख्या पर्याप्त नहीं रही। हजारों टीकें बर्बाद हो गए। जिससे हजारों कोरोना संक्रमण से बच सकते थे। जिसकी मुराद में समूचा देश और विदेश पलक पावडे खडा है की मेरी बारी कब आएंगी। आलम ऐसा ही रहा तो आगे भी मुश्क‍िलायतों का सामना करना पडेगा। बावजूद हवे मे तीर चलाने वाले अपनी हठधर्मिता में मशगूल है।

आखि‍र! इसका जिम्मेदार कौन है? टीका नहीं लगावने वाले या भ्रम फैलाने वाले? बिल्कुल टीके के नाम पर विरोध के लिए विरोध की कुंठित राजनीतिक जमात गुनाहगार है। इसके लिए देश कदापि उन्हें माफ नहीं करेंगा। बेहतर होता पूरी तरह खोजे, जांच-परखे और अजमाए एक टीका जिदंगी का कहे जाने वाले कोरोना वैक्सीन पर बेवजह हायतौबा मचाने की बजाए इसकी खांमियां को बताकर दूर करने में मददगार बनते। साथ ही जनसंदेशी वाहक के तौर पर लोगों में प्रचलित वैक्सीन का अलख जगाते। उधेडबून में ये तुगलकी फरमानी यह भूल गए कि एक अदद वैक्सीन खोजने में मुदृत लग जाती है। बानगी में आज तक एडृस, केंसर जैसी अनेकों घातक रोगों का पुख्ता इलाज मुकम्मल नहीं हो पाया। वह तो भला हो हमारे ज्ञान-विज्ञान, आर्युविज्ञान और वैज्ञानिकों का जिन्होंने अपनी अपार मेहनत के बल पर बमुश्क‍िल एक साल के भीतर एक प्रभावी और सुरक्षि‍त एक नहीं अपितु दो-दो वैक्सीन कोरोना के खात्मे के लिए समर्पित कर दिया। जिसके लिए जगत ने खुलेमन से भरोसे के साथ स्वागत करते हुए पाने की गुहार लगाई। निकट समय में और अधि‍क देशी वैक्सीन कोरोना को जडमूलन करने दर पर खडी है। ऐसी बेजौड कल्पनाशक्त‍ि, लग्न, निष्ठा, कार्यक्षेमता और दक्षता को जय हिन्द!

जानकारी के अभाव में इतना भ्रम

अतिशयोक्ति, जागरूकता की कमी और कोरोना वैक्सीन के बारे में जानकारी के अभाव में इतना भ्रम हो रहा है। प्रतिक्रिया देने से पहले जिन चीजों के बारे में पता होना चाहिए, वे हैं: हर टीका ग्राही की प्रतिरक्षा के अनुसार चर सुरक्षा प्रदान करता है। यह सामान्य बात है। यहां तक कि सबसे अच्छे टीकों के 95 फीसदी परिणाम हैं। इसका मतलब यह भी है कि कुछ लोग उच्च प्रतिरोगक क्षमता प्रतिक्रिया विकसित कर सकते हैं, जबकि कुछ लोगों की प्रतिक्रिया बिल्कुल नहीं हो सकती है। लेकिन ये गैर हैं और बहुत ही असामान्य हैं। सभी टीके एलर्जी की प्रतिक्रिया का कारण बन सकते हैं। कई बार यह निर्धारित करना लगभग असंभव है कि कौन सा रोगी एलर्जी की प्रतिक्रिया विकसित करेगा। इसलिए, एलर्जी वाले लोगों को टीकाकरण से गुजरने से पहले इसके बारे में सूचित करना चाहिए। इसके अलावा, यदि आप किसी भी तीव्र एलर्जी की प्रतिक्रिया के बारे में चिंतित हैं तो आप कुछ घंटों के लिए अस्पताल परिसर में इंतजार कर सकते हैं। बाद में होने वाली एलर्जी प्रतिक्रियाएं आम तौर पर गैर-खतरनाक होती हैं और आसानी से इलाज किया जा सकता है। यदि आप असामान्य प्रतिक्रिया विकसित करने वाले दुर्लभ मामलों के बारे में सुनते हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। बस याद रखें कि यह असामान्य, दुर्लभ है और सभी प्रकार के टीकाकरण में होता है।

कई बातों का ध्यान रखना जरूरी

कोरोना वैक्सीन टीका लगवाने के बाद कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि इस वैक्सीन के कुछ साइड इफेक्ट्स हैं, जिनका असर हो सकता है। हालांकि कई जानकारों ने कहा है कि देश में लगाई जा रही कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही बिलकुल प्रभावी और सुरक्षित हैं। करीब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है। भारत में अबतक लाखों लोगों को टीका लगाया जा चुका है। आगे के चरणों में वरिष्ठ नागरिकों को खुराक देने की तैयारी है। टीकाकरण अब तक सामुहिक रोगप्रतिरोधक क्षमता हासिल करने का अच्छा माध्यम है। उससे हमें अंदाजा हो जाएगा कि जिंदगी दोबारा पटरी पर कब तक लौट सकती है। मास्क से छुटकारा पाने की कोशिश करना वर्तमान में सबसे बड़ी गलतियों में से एक होगा। मुखपटृटी और शारीरिक दूरियां बरतना पूर्ण टीके तक जारी रखना होगा।

वस्तुत: देश की सरकार, चिकित्सकों, वैज्ञानिकों तथा प्रयोगीधर्मी स्वंय सेवकों की परखी जीवटता, अपार कर्तव्यप्रणता का अनुपालन, सम्मान और बेवजह की नुक्ताचिनी को दरकिनार करते हुए दुनिया के सबसे बडे कोरोना वैक्सीनेशन महाभि‍यान का अहम हिस्सा बने। येही वक्त की नजाकत और समय की दरकार है। फलीभूत ही देश और दुनिया से कोरोना का नामोनिशान मिटेगा। तभी मचे कोहराम और मृत्यु से मुक्त‍ि मिलेंगी। यही संसार की मीमांसा है। फिर देर किस बात की आईए, हम सब मिलकर दिल से लगाए एक टीका जिदंगी का।

हेमेन्द्र क्षीरसागर, लेखक व पत्रकार

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