महापर्व

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पूरे गाँव में उत्साह का वातावरण छाया था, चारों तरफ खूब चहल-पहल थी। क्या बच्चे, क्या बूढ़े, सभी खूब मौज-मस्ती कर रहे थे। कच्चे घरों की दीवारों पर मनमोहक कलाकृतियाँ बनाई गयीं थीं। चबूतरे को गोबर से लीप-पोतकर किरण सुन्दर रंगोली बनाने में जुटी थी। समूचा गाँव अत्यन्त भव्यता लिए हुए अलौकिक आनन्द की अनुभूति करा रहा था जैसे कि मानों कोई त्योहार हो, जिसमें प्रत्येक घर झूम-झूम कर अपनी खुशियाँ बिखेर रहा हो।
        मैंने रंगोली बनाती हुई किरण से कहा– रंगोली तो बहुत सुन्दर बनाई है तुमने, पूरे गाँव में भी जश्न मनाया जा रहा है, क्या ग्रामप्रधान जी किसी कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं, या कोई खास त्योहार आने वाला है, जिसे सब लोग मिलकर एक साथ मनाने वाले हैं ?
        मेरे द्वारा इतना पूछने पर किरण के घर के सभी लोग बाहर निकल आये, सारे पास-पड़ोसी भी आ गए। तभी किरण की दादी रमैया, जिनकी उम्र करीबन 98 वर्ष की थी, बड़े उत्साह से मेरे पास आयीं और मेरा हाथ अपने हाथ में थामकर बोलीं-
तुम कौन हो?कहाँ से आई हो? कुछ पढ़ी-लिखी हो या ठेठ अनपढ़, गंवार ही हो, जो ये सब पूछ रही हो?
      चलो मैं ही तुम्हें बताती हूँ। ये त्योहार ही नहीं,महात्योहार है, महापर्व है, वो भी हमारे देश का सबसे बड़ा त्योहार है, चुनाव का महापर्व है और हमारे गाँव का बच्चा-बच्चा ये जानता है।
         इस महापर्व में शामिल होने के लिए ही तो हम सब लोग एक माह से सारी तैयारियां कर रहे हैं। गाँव में स्वच्छता अभियान चला रहे हैं, जिससे हमारा गाँव साफ-सुथरा रहे, किसी बीमारी का संक्रमण न हो, जिससे हम लोग स्वस्थ रहें और मतदान करने में कोई दिक़्क़त न आये। पूरे गांव की सजावट मन को आनन्दित करके उत्साह का संचार करती है, जिससे सोंचने-समझने की शक्ति मिलती है और फिर कोई भी उचित निर्णय लेने में हम सक्षम हो पाते हैं।
         हर पाँच वर्ष बाद यह महापर्व आता है,तो इसमें हम कोई चूक क्यों होने दें? हम सब लोग एक साथ मिलकर अपना बहुमूल्य मतदान करने ज़रूर जाएंगे, वो भी बिना किसी प्रलोभन में आये।
        हम खूब सोंच-समझकर अपनी बुद्धि का प्रयोग करके सच्चा नेता चुनकर लाएंगे, जो हमारे अपने देश के हित के लिए कार्य करे, जो जनता के दुख-दर्द को समझे, जनता की बात सबके सामने रक्खे तथा जन-जन की समस्याओं का भली-भाँति निराकरण कर सके।
       सरकार बनाने की ज़िम्मेदारी हम सबकी ही तो है, हमारा मत अनमोल है। हमारा कर्तव्य है कि हम अपने मत को व्यर्थ मत जाने दें। इस महापर्व को सार्थक बनाएँ, सफल बनाएँ अपना कीमती वोट देकर, लोकतन्त्र का महापर्व मनाएँ।
#डॉ0 मृदुला शुक्ला “मृदु”
लखीमपुर-खीरी (उ0प्र0)

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