महागौरी (माता का आठवाँ रूप)

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नवरात्र  के आठवें दिन पूर्वसंचित पापों को धोने वाली पराम्बा माता के आठवें रूप  महागौरी की उपासना का दिन है । भक्तों के सभी कल्मष धोने वाली, अमोघ शक्ति और आशुफलदायिनी ‘महागौरी’ का शाब्दिक अर्थ है ‘महती गौर वर्ण की’ ।
ऐसी आश्वस्ति है कि शिव को पति के रूप में पाने की तपस्या में  आदिशक्ति  साँवल-वर्णी हो गईं । महादेव ने प्रसन्न होकर उनके इस स्वरूप को दिव्य गौर वर्ण युक्त कर दिया । ग्रंथों में  माता की इस गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से की गई है। माता का परिधान और आभूषण भी श्वेत ही दिखाया गया है जो किंचित अंदर की ज्योति
के जलने का बाह्य प्रभाव है।
एक विस्मित करने वाला तथ्य है कि महागौरी  की आयु मात्र आठ वर्ष की मानी गई है- ‘अष्टवर्षा भवेद् गौरी।’ शायद यह प्रतीत है कि साधना फलीभूत होने पर शक्ति भी बालिका की तरह हो जाती है।
चार भुजाओं वाली और वृषभ पर आरूढ माँ  के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल दिखया गया है। इसके अलावा, ऊपरवाले बाएँ हाथ में डमरू और नीचे के बाएँ हाथ में वर-मुद्रा धारण किया हुआ दिखाया गया है जो कि माता के अत्यंत शांत और सौम्य रूप को भली प्रकार अभिव्यंजित करता है।
साधक के दृष्टिकोण से देखें तो साधना फलीभूत हुई , अंदर का कमल विकसित हुआ, ज्योत जली जिससे रंग स्याह से सफेद हो गया । एक प्रतीक यह भी कि इसी तरह साधक के सभी दुःख-दैन्य को हरने वाली माता उनके जीवन में सिर्फ उजाला ही उजाला करती हैं ।
महागौरी की आराधना का मन्त्र : 
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः |
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ||
#कमलेश कमल

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।