जैसे किसी गन्ने को चरखी में से चार बार गुजारने के बाद उसकी हालत होती है, या किसी भी पतरे की अलमारी को गोदरेज की अलमारी कहने की तर्ज पर पानी की हर बोतल को बिसलरी कहने वाले किसी व्यक्ति द्वारा पूरी बोतल गटकने के बाद उसे मरोड़ मरोड़ कर […]
kamlesh
इक छोटा सा वायरस,दहशत में संसार। कोरोना ने रोक दी,जीवन की रफ्तार।। साफ-सफाई स्वच्छता,साबुन का उपयोग। कोरोना की श्रृंखला,तोड़ेंगे हम लोग।। धर्म,जाति,मज़हब नहीं,ऊँच,नीच ना रंग। कोरोना का वायरस,करे सभी को तंग।। क्यों दें हम परिवार को,जीवन भर की टीस। दृढ़ता पूर्वक काट लें,घर में दिन इक्कीस।। रखें दूरियाँ जिस्म से,दिल […]
वैश्वीकरण के इस दौर में सांस्कृतिक अन्तःक्रिया और समंजन की प्रकिया में एक त्वरा परिलक्षित हो रही है। संस्कृति के महत्तम-अवयव के रूप में साहित्य भी इससे असंपृक्त नहीं है। इस संदर्भ में दृष्टव्य है कि भारतीय-भाषाओँ में जहाँ पहले सिर्फ अंग्रेजी-काव्य का व्यापक प्रभाव था, वहीं आज जापानी-काव्य-विधाओं ने […]