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जीने नहीं देता मरने नहीं देता
ये दर्द भी अब उबरने नहीं देता
भुखमरी ऊपर से ये लॉक डाउन
काम करना चाहे करने नहीं देता
सोचते थे फिर से सँवर जायेंगे
हालात ऐसे हैं सँवरने नहीं देता
बढ़ते ही रहती रही परेशानी बहुत
हद हो गई , धीरज धरने नहीं देता
मिलता नहीं सच्चा साथी जहां में
दिलो के जख्म को भरने नहीं देता
-किशोर छिपेश्वर”सागर”
बालाघाट
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