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व्याप रहा संसार में, सब जन भ्रष्टाचार।
ढूँढे से मिलता नहीं,अब जग सदआचार।।
गली हाट बाजार में,दफ्तर अरु चपरास।
भ्रष्ट सभी जन हो रहे, रिश्वत तेरी आस।।
अधिकारी नेता बड़े, डाक्टर साहूकार।
पटवारी राजस्व तो ,हैं सबके सरदार।।
मंत्री अरु सांसद बने, भ्रष्टाचारी जीव।
पद से ये हट जाए तो, हो जाऐं निर्जीव।।
रिश्वत तो सुविधा बनी, कहते यही दलाल।
लुटते दीन गरीब ही, अफसर मालामाल।।
राम भरोसे चल रहा जिनका कारोबार।
वे ही बस धनवान है,बाकी हम बेजार।।
ईश दूत वे बन रहे, कथा राम की बाँच।
वे सब साधु धींगरे, नेकु न आवै आँच।।
दैव रिंझाने को चढ़े, सवामणी परसाद।
जितना ज्यादा जो चढ़े,वो पहले फरियाद।।
रिश्वत से प्रभु नहि बचे,का बचिए इंसान।
जितनी मोटी रकम दे, वे सच्चे ईमान।।
हम तुम कहा बलाय जो,रिश्वत देय न लेय।
इससे जो बचना चहै, गरल उसी का पेय।।
सदाचार सब मानते ,अब तो भ्रष्टाचार।
मानो या न मानिए ,जीवन का आधार।।
बड़े बड़े नेता हुए, घोटालों के शोेर।
छोटे कर्मी क्या करें,बेचारे चमचोर।।
रक्षक ही भक्षक बने, भारत में सिरमौर।
वा रे भ्रष्टाचार भइ ,तेरा ओर न छोर।।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः