क्या करूँ ,
मौन रहूं या बोल दूँ ।
इन नेताओं की ईमानदारी के ,
सारे राज खोल दूँ ।।
क्या करूँ ,
मौन रहूं या बोल दूँ ।।।।
भेड़ चाल से सरकार बन रही ,
जबकि वोट हमारा अधिकार है ।
नेताजी कह रहे , मुझे ही वोट देना ,
ले पहले ,दारू की बोतल , खोल तू ।।
क्या करूँ ,
मौन रहूं या बोल दूँ ।।।।
वोट लेने तक ,
पड़ जाते है पैरो में ।
जीत जाए , तो फिर कहते ,
कौन है , भाई ! बोल तू ।।
क्या करूँ ,
मौन रहूं या बोल दूँ ।।।।
नेताजी गुंडे बन जाते ,
अपना खूब प्रकोप दिखाते ।
इस गन्दी राजनीति को ,
आँख बन्द कर तोल दूँ ।।
क्या करूँ ,
मौन रहूं या बोल दूँ ।।।।
गाड़ी , बंगला और दौलत ,
ऐशोआराम की जिंदगी है ।
इस दुनिया भर की महंगाई में कहे ,
दस पैसा सस्ता पेट्रोल दूँ ।।
क्या करूँ ,
मौन रहूं या बोल दूँ ।।।।
रिश्वतखोरी , गुण्डागर्दी , कालाबाजारी ,
ये दिनदहाड़े करते है ।
फँस जाए तो , चुटकियों में फैसले होते ,
और , जज को बोलते ,
तेरी कीमत बोल तू ।
क्या करूँ ,
मौन रहूं या बोल दूँ ।।।।
बलात्कारी खुलेआम घूम रहे ,
देशद्रोही नेता बन रहे ,
भरी सभा में कॉलेजो में कह रहे ,
भारत माँ की जय , मत बोल तू ।
क्या करूँ ,
मौन रहूं या बोल दूँ ।।।।
तरह-तरह के घोटाले हो रहे ,
सैकड़ो की चीज , हजारो में ले रहें ।
महंगाई ऐसे तो कम नहीं होगी ,
जनता , दिल की बात , बोल तू ।
क्या करूँ ,
मौन रहूं या बोल दूँ ।।।।
नेताजी विदेश घूम रहे ,
सीमा पर सैनिक शहीद हो रहे ,
क्रिकेट में करोड़ो और
शहीद की बेवा को चंद कागज के टुकड़े ,
मैं पूछता हूं , क्यों उड़ाते इनका मख़ौल यू ।
क्या करूँ ,
मौन रहूं या बोल दूँ ।।।।
भ्रष्ट नेताओं ने ही बिगाड़ा ,
इस सोने की चिड़िया का स्वरूप ।
आज सब अंधभक्त हो रहे ,
“जसवंत” खुल कर बोल तू ।।
क्या करूँ ,
मौन रहूं या बोल दूँ ।।।।
इन नेताओं की ईमानदारी के ,
सारे राज खोल दूँ ।।।।।।