तिनका

0 0
Read Time1 Minute, 43 Second
shashikala jha
एक कमजोर तिनका
तैर रहा था
उदंड लहरों के थपेड़ों में ।
लहरें बार- बार आतीं
संपूर्ण वेग से
डुबो देना चाहती
तिनके को ।
तैरता हुआ तिनका
स्वयं भी
समझ न पा रहा था
आखिर क्यों वह
इन प्रचंड लहरों में
डूब नहीं रहा है?
लहरों का प्रहार
तिनके का तैरना जारी रहा
अंततः थकने लगी लहरें
समझ गया तिनका
न डूबने का कारण ।
उसने लहरों से कहा-
“आखिर क्यों डुबो देना
चाहती हो तुम मुझे?
तुम्हारे पास तो
अपार जल संपदा है
शक्तिशाली हो तुम
क्यों व्यर्थ ज़ाया कर रही हो
अपनी उर्जा ।”
“मैं तो बस एक
निरीह तिनका हूँ ।
हाँ,
एक फ़र्क है हम दोनों के बीच
तुम्हारा निर्मल जल
अहंकार के खारेपन से
भारी हो गया है ।
मैं अदना सा तिनका
दूसरों के दर्द को भी
महसूस कर
इतना दुबला और हल्का
हो गया हूँ कि
डूब हीं नहीं सकता ।”
शायद यही फर्क है
करुणा और अहं के बीच-
करुणा कभी डूबती नहीं
अहं सदैव ख़ारा और
भारी रहता है ।
#शशिकला झा
परिचय-
शशिकला झा 
जन्म- 16 मार्च 1961
शिक्षा- एम •ए•(राजनीति विज्ञान) शोधार्थी ।
अभिरुचि- लेखन, गीत कंपोजिंग, छायांकन ।
प्रकाशित- विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में प्रतिक्रियाएँ, कविताएँ, गीत, आलेख, लघुकथा, लघु आत्मकथा आदि प्रकाशित ।
पता-
जिला- सुपौल  (बिहार) 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

राष्ट्रीय कवि संगम का प्रांतीय अधिवेशन एवं कवि सम्मेलन सम्पन्न

Sat Sep 22 , 2018
राष्ट्रीय कवि संगम का प्रांतीय अधिवेशन एवं कवि सम्मेलन सम्पन्न जम्मू |राष्ट्रीय कवि संगम की जम्मू कश्मीर इकाई का प्रांतीय अधिवेशन आज के एल सहगल हाल, जम्मू में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदीश मित्तल जी ने कार्यक्रम की अध्क्षता की जबकि […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।