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अनेक राह हैं….
लंबी-लंबी सड़कें,
उबड़-खाबड़ वीथिकाएं,
कच्चे-पक्के रास्ते.
बर्फ वाले पहाड़,
गहरी तलहटियां,
चाय-बागानों की ढलान.
उजड़े-बियाबान, घने-वन.
हर जगह है मौजूद,
इस दुनिया का वजूद.
फिर भी,बन न सकी
एकछोटी,कच्ची-पक्की राह
तुम्हारे और मेरे दरम्यान,,
जिसपर चलकर हम
आ सके इतने करीब,
कि, ‘स्व’ समाहित हो,
कायम करें जगत् में
एक सम्मिलित-अर्थवता…
प्रेम की, विश्वास की
उन्मुक्त -विचार-भाव की।
#पूनम (कतरियार)
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