यादों में बसा लेना

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रोकर काटी कितनी रातें,राह तकते गुज़ारे जो दिन
मधुमय जीवन की बहारें ,झूठी हो गयीं पिया तुम बिन
अपनी पीड़ा भूल सजन तुम ,जरा यूँ ही मुस्कुरा देना
*पल दो पल उनकी यादों का ,पानी आँखों में भर लेना*
*भूले बिसरे पलों को तुम यादों में अपनी बसा लेना*
सजा रही हूँ ख़्बाव अकेले,तुम भी हौले से आ जाना
मधुर स्मृतियों में आकर पिय ,धीरे से तुम सहला जाना
मन के अंधेरे कोने को ,यादों से जगमग कर लेना
पल दो पल उनकी यादों का पानी आँखों में भर लेना
भूले बिसरे पलों को तुम यादों में अपनी बसा लेना ।
तुम पारस बन जाओ सजन ,मुझे स्वर्ण तब बना देना
कुंदन सा चमकूँ माथे पर ,बना तिलक मुझे लगा लेना
बन जाऊँगी केशरिया चुनर ,तुम अंग मोहे लगा लेना
पलदो पल उनकी यादों का पानी आँखों में भर लेना
भूले बिसरे पलों.को तुम यादों में अपनी बसा लेना।
तुम सावन बन बरसो वसुधा  ,मैं दरिया बन मिल जाऊँगी
तुम पवन सम उड़ो गगन में,मैं खुश्बू सी बिखर जाऊँगी।
तुम बन सूरज तपोगे जमीं ,मुझे चाँद शीतल कर देना
पल दो पल उनकी यादों का पानी आँखों में भर लेना
भूले बिसरे पलों को तुम यादों में बसा लेना ।
#मनोरमा जैन पाखी

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