गीता समाज भवन का हॉल लोगों से खचाखच भरा हुआ था।गद्दों पर बिछी हुई सफेद चादरें, अगरबत्ती की मीठी-मीठी खुशबू, राधेश्याम जी की तस्वीर के सामने फूलों का ढेर, तस्वीर पर चंदन की मालाएं, धीमे स्वर में गूँजता ओम शांति का संगीत,हजारों की संख्या में निर्विकार भाव से बैठे लोग […]
punam
पढ़ती जा रही जिंदगी झटपट, फटाफट पृष्ठ -दर -पृष्ठ बस, पलटती जा रही हैं. किसी पृष्ठ पर; कभी जाती ठहर, क्षणभर के लिए, सुस्ताती-सोचती. हिलोरें लेता भाव, होते गड्डमड विचार. सहमत-असहमत, कई असमंजस. रुकने नहीं देती, उत्सुकता-ललक, क्या होगा?कैसा होगा? करती रहती आकर्षित, अदम्य लालसा, ‘अंत’ जानने की. ज्ञात है जबकि, […]