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मंगलसूत्र,
वैवाहिकता का सबूत
सम्बन्धों को करता
मजबूत,
रह उपस्थित देते आशीर्वाद
देवदूत,
देख दृश्य सब रहते
अभिभूत,
वर्तमान काल में रह खुश
भविष्य के सपने संजोते,
सच हुए सपने,
मिला उन्हें पूत
मंगलसूत्र,
वैवाहिकता का सबूत।
बढ़ती चकाचौंध
सम्बन्धों क़ो रौंद,
टूटते रिश्ते,
सम्बन्ध पिसते
स्वप्न रहने का
आजाद,
करता घात-प्रतिघात
लग्न मण्डप की शान,
परिवार का मान
लग्न में ले वचन
निभाने का साथ,
उफ़ !
झूठ सब झूठ
छोड़ दिया हाथ,
ये कैसा चक्रवात ?
सूत्र में पिरो मंगल
शर्मिंदा होता बहुत
मंगलसूत्र
वैवाहिकता का सबूत।
देखिए विडम्बना
अब है मंगलसूत्र,
वैवाहिकता का ठप्पा
देख अचंभित होता
‘रब्बा’,
अब मंगलसूत्र
खिलौना
उचित समझे,
अपने पिय से दूर होना,
न चाहते भी
रिश्तों को ढोना,
इससे कम होता
मंगलसूत्र का
वजूद,
मंगलसूत्र
वैवाहिकता का
सबूत॥
#सुनील चौरे ‘उपमन्यु’
परिचय : कक्षा 8 वीं से ही लेखन कर रहे सुनील चौरे साहित्यिक जगत में ‘उपमन्यु’ नाम से पहचान रखते हैं। इस अनवरत यात्रा में ‘मेरी परछाईयां सच की’ काव्य संग्रह हिन्दी में अलीगढ़ से और व्यंग्य संग्रह ‘गधा जब बोल उठा’ जयपुर से,बाल कहानी संग्रह ‘राख का दारोगा’ जयपुर से तथा
बाल कविता संग्रह भी जयपुर से ही प्रकाशित हुआ है। एक कविता संग्रह हिन्दी में ही प्रकाशन की तैयारी में है।
लोकभाषा निमाड़ी में ‘बेताल का प्रश्न’ व्यंग्य संग्रह आ चुका है तो,निमाड़ी काव्य काव्य संग्रह स्थानीय स्तर पर प्रकाशित है। आप खंडवा में रहते हैं। आडियो कैसेट,विभिन्न टी.वी. चैनल पर आपके कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं। साथ ही अखिल भारतीय मंचों पर भी काव्य पाठ के अनुभवी हैं। परिचर्चा भी आयोजित कराते रहे हैं तो अभिनय में नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से साक्षरता अभियान हेतु कार्य किया है। आप वैवाहिक जीवन के बाद अपने लेखन के मुकाम की वजह अपनी पत्नी को ही मानते हैं। जीवन संगिनी को ब्रेस्ट केन्सर से खो चुके श्री चौरे को साहित्य-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वे ही अग्रणी करती थी।
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Wed Dec 13 , 2017
पानी-पानी हो गया,पानी पानीदार। पनिया उतार देखि के,फफके पानी धार॥ जल ही जीवन है,सुनो,कहें-सुनें सब लोग। जग निरोग रहे कैसे,जल में है सौ रोग॥ पाप धोवन भुवन चली,बाढ़ हिं बढ़ता पाप। जहर लहर लखि,हे सखी! सिसके गंगा आप॥ गंग उमंग संग बहे,निर्मल सरस तरंग। ‘सावन’ मन पावन करे,बदले जीवन रंग॥ […]
बहुत सुन्दर