प्यार करो ऐसा की नाम हो जाये /
नाम करो ऐसा की जुबान पर लोगो के आ जाये /
मिलो लोगो से ऐसे की, वो भूलना पाएं /
छाप छोडो ऐसी, की हर दिलो में, तस्वीर बन जाये /
फिर वो, जीवन पर्यन्त आपको भूलना पाएं /
प्यार करो ऐसा की नाम हो जायेग/1/
नाम पुकारो उनका, जो आपके अपने है/
सही मायने में वो ही, शायद आपके सपने है /
तभी तो हमें और तुम्हे समझ आएगा, की वो ही तो अपने है /
जो अपने दिल की बात, आप से कर सकते है /
अपनों में ही तो सच्चे सपने बसते है /
तभी तो खुशीयो के फूल अपने आप खिलते है /
क्या इसी को हम और आप प्यार कहते है ?
क्योकि अपनों में ही तो सच्चे सपने बसते है /2/
प्यार की शुरुबात कैसे होती है / किसी प्रेमी से पूछो /
प्यार में क्या क्या होता है / किसी खुश नसीव प्रेमी से पूछो/
प्यार की तड़फ क्या होती है / किसी वदनसीव प्रेमी से पूंछो /
प्यार के बाद क्या होता है / किसी पति पत्नी से पूछो /
तभी तो कहते है, की प्यार किया नहीं जाता हो जाता है /
दिल दिया नहीं जाता, अपने आप ही किसी पर चला जाता है /3/
इसलिए संजय कहता है की, प्यार करो तो ऐसा की आपका नाम हो जाये /
हर दिलो की धडकनो औरजुबा पर आपका नाम हमेशा के लिख जाए /
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।