1.
मनु सतरूपा सृष्टि के,आदि पुरुषअरु नार।
आदम हव्वा भी कहे, मनु जीवन आधार।।
2..
पुरुष नार दोनो हुवै ,गाड़ी के दुइ चाक।
कौन बड़ा छोटा कहें, सोचें रहें अवाक।।
3..
नारी की महिमा अमित,कहते विविध प्रकार।
पुरुष वर्ग की बात भी, करलें हम दो चार।।
4..
बीज मंत्र है सृष्टि का, साहस का प्रतिरूप।
जैसे परुष कठोरता, पुरुष सनातन रूप।।
5..
कठोर सीना परुष है, मन में मृदुला भाव।
वाणी में भी परुषता,तन मन अमित प्रभाव।।
6..
पुरुष परुष प्रतिरूप है,श्रम ताकतअधिकार।
सबके हित जीए मरे , पत पाले परिवार।।
7..
पुरुष नारि का पूत है, हर नारी का बाप।
नारी का पति पुरुष है,नर शिवशंकर आप।।
8..
पुरुष देह मे प्रीत है, नारी के प्रति मोह।
मन आसक्ति नारि प्रति,आकर्षण सम्मोह।।
9..
नारी के तन मन हिते,पुरुष करे पुरषार्थ।
सृष्टि सूत्र निभाय के,काम मोक्ष धरमार्थ।।
10..
कौन कहे सुन्दर नहीं, पुरुष देह असमान।
तन नाजुकता त्यागि है,बल साहसअनुमानि।
11..
शासन सत्ता में रहे, सदा पुरुष बढ़ि चाल।
युद्ध शौर्य श्रम यथा,लिखे पुरुष के भाल।।
12..
नारी अत्याचार मद ,कुछ झूठे कुछ साँच।
सत द्रोही कापुरुष हैं, झूँठे द्रोह न आँच।।
13..
सबके हित में जीतता,सबके हित में हार।
जीवन भर सतकार है,नर से मानित नार।।
14..
पत्नी के सम्मान हित, पति दे प्राण गँवाय।
मात सुता के नाम की,गाली सह नहि पाय।।
15..
बिटिया के शुभ ब्याह में,लुटते पिता करोड़।
बेटे हित काटे उदर, रखता धन को जोड़।।
16..
माता के सम्मान को, कटा देत जो शीश।
धरती की रक्षा करे, तभी कहें जगदीश।।
17..
पुरुष नारि है चाहता ,नहीं चाहत बैकुण्ठ।
गमे गरल पीता रहे, शिव सम नीलाकण्ठ।।
18..
पिता धर्म के लिए भी, जूझे पूत सपूत।
माता पितृ नकारते, कापुरुषत्व कपूत।।
19..
कापुरुषों को दण्ड दें, धोते पुरुष कलंक।
पुरुषत कलंकी न रहे, रहलें सभी निसंक।।
20..
धीरज सागर सा रहे, बादल जैसे भाव।
पुरुष परुष वाणी भले, सूरज जैसे ताव।।
21..
नारि पुरुष में श्रेष्ठ का, पार न पावे ईश।
शरमा बाबू लाल दुइ, नर-नारी इक्कीस।।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः