कहाँ गए भगवान्

0 0
Read Time2 Minute, 24 Second
rinkal sharma
कहाँ गए भगवान्
सुना है बड़े बुज़ुर्गों से
कण कण में बसते हैं भगवान
पर न जाने मंन क्यों सोच रहा कि
कलयुग में कहाँ गए भगवान
जब सुनती थी दादी और नानी
कोई किस्सा या कोई कहानी
हर किस्से में था यही बखान
कण कण में बसते है भगवान
कहती थी दादी महाभारत में
जब द्रोपदी, भरी सभा लजाई थी
तब स्वयं कृष्ण भगवान ने आकर
द्रोपदी की लाज़ बचाई थी
पर आज न जाने कितनी ही
द्रोपदी लजाई जाती है
न जाने कितनी ही मासूम “निर्भया”
सरेआम लुटाई जाती है
न जाने कितनी मासूमों ने मारे शर्म के दिए अपने प्राण
हर पल अब मंन ये सोच रहा कि
कलयुग में कहाँ गए भगवान
अब क्यों नहीं आते प्रभु कृष्ण बनके
नारी की लाज़ बचाने को
अब क्यों नहीं लेते रूप नरसिंघ का
निर्बल , मासूमों को बचाने को
क्यों सुध नहीं लेते अपने बच्चों की
कहाँ छुप गए हो हे कृपानिधान
हर पल मन ये ही पूछता है की
आखिर कलयुग में कहाँ गए भगवान…
#रिंकल शर्मा
परिचय-
नाम – रिंकल शर्मा
(लेखिका, निर्देशक, अभिनेत्री एवं समाज सेविका)
निवास – कौशाम्बी ग़ाज़ियाबाद(उत्तरप्रदेश)
शिक्षा – दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक , एम ए (हिंदी) एवं फ्रेंच भाषा में डिप्लोमा 
अनुभव –  2003 से 2007 तक जनसंपर्क अधिकारी ( bpl & maruti)
2010 – 2013 तक स्वयं का स्कूल प्रबंधन(Kidzee )
2013 से रंगमंच की दुनिया से जुड़ी । बहुत से हिंदी नाटकों में अभिनय, लेखन एवं मंचन किया । प्रसार भारती में प्रेमचंद के नाटकों की प्रस्तुति , दूरदर्शन के नाट्योत्सव में प्रस्तुति , यूट्यूब चैनल के लिए बाल कथाओ, लघु कथाओंं एवं कविताओं का लेखन ।  साथ ही 2014 से स्वयंसेवा संस्थान के साथ समाज सेविका  के रूप में कार्यरत।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

इश्क का फसाना..........

Wed Aug 1 , 2018
ज़ुबां पे कैसे आता मेरे इश्क का फसाना, उसे वक्त ही नहीं था जिसे चाहा था सुनाना, ============================ मेरे साथ घूमते हैं पूरी रात चाँद-तारे, इनका भी नहीं है क्या मेरी तरह ठिकाना, ============================ आज़मा ले शौक से तू गैरों की भी वफाएँ, कहीं भी नहीं मिलेगा मुझ सा तुम्हें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।