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कहाँ गए भगवान्
सुना है बड़े बुज़ुर्गों से
कण कण में बसते हैं भगवान
पर न जाने मंन क्यों सोच रहा कि
कलयुग में कहाँ गए भगवान
जब सुनती थी दादी और नानी
कोई किस्सा या कोई कहानी
हर किस्से में था यही बखान
कण कण में बसते है भगवान
कहती थी दादी महाभारत में
जब द्रोपदी, भरी सभा लजाई थी
तब स्वयं कृष्ण भगवान ने आकर
द्रोपदी की लाज़ बचाई थी
पर आज न जाने कितनी ही
द्रोपदी लजाई जाती है
न जाने कितनी ही मासूम “निर्भया”
सरेआम लुटाई जाती है
न जाने कितनी मासूमों ने मारे शर्म के दिए अपने प्राण
हर पल अब मंन ये सोच रहा कि
कलयुग में कहाँ गए भगवान
अब क्यों नहीं आते प्रभु कृष्ण बनके
नारी की लाज़ बचाने को
अब क्यों नहीं लेते रूप नरसिंघ का
निर्बल , मासूमों को बचाने को
क्यों सुध नहीं लेते अपने बच्चों की
कहाँ छुप गए हो हे कृपानिधान
हर पल मन ये ही पूछता है की
आखिर कलयुग में कहाँ गए भगवान…
#रिंकल शर्मा
परिचय-
नाम – रिंकल शर्मा
(लेखिका, निर्देशक, अभिनेत्री एवं समाज सेविका)
निवास – कौशाम्बी ग़ाज़ियाबाद(उत्तरप्रदेश)
शिक्षा – दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक , एम ए (हिंदी) एवं फ्रेंच भाषा में डिप्लोमा
अनुभव – 2003 से 2007 तक जनसंपर्क अधिकारी ( bpl & maruti)
2010 – 2013 तक स्वयं का स्कूल प्रबंधन(Kidzee )
2013 से रंगमंच की दुनिया से जुड़ी । बहुत से हिंदी नाटकों में अभिनय, लेखन एवं मंचन किया । प्रसार भारती में प्रेमचंद के नाटकों की प्रस्तुति , दूरदर्शन के नाट्योत्सव में प्रस्तुति , यूट्यूब चैनल के लिए बाल कथाओ, लघु कथाओंं एवं कविताओं का लेखन । साथ ही 2014 से स्वयंसेवा संस्थान के साथ समाज सेविका के रूप में कार्यरत।
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