मोहब्बत……

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pritam meghawal

महंगी पड़ गयी तुम्हारी मोहब्बत हमें
 
कुछ लिया भी नहीं और सब कुछ दे दिया
 
 
वैसे इतना भी बुरा नही था ये सौदा
 
हमको भी तो मिला रात भर आँख खुली रखने का काम
 
आँख मिच के भी ना सोने का काम
 
बिना तुम्हारी इजाज़त के तुम्हे याद करने का काम
 
 
सस्ती पड़ गयी हमें याद तुम्हारी
 
जब चाहे तब मिली है, मुफ़्त में
 
 
वैसे इतना भी सस्ता नही था सौदा
 
तुम्हें मिलने से पहले खुद को संभालना होता है
 
लड़खड़ाते हुए भी प्यार निभाना होता है
 
कम्बख़त उसी वक़्त तुम्हे भी ओझल होना होता है।
  #प्रीतम मेघवाल
परिचय: प्रीतम मेघवाल डुंगरपुर ज़िला के मूलतः गाँव कोलखण्डा(राजस्थान) में रहते हैं। मातृभाषा से प्रेम के कारण कविता एवं शायरी लिखने का शौक है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।