जित भी जाऊं उड़ेए सारे बेरोजगार हाण्डे सै,
के करलां उस पढ़ाई का नौकरी आला न भी छाण्टै सैं
पढै लिखे व्यक्ति का होर्या सै खूब शोषण
चाहे समाज हो स्कूल हो क्यूकर करैं भरण-पोषण
अनपढ़ आदमी दिहाडी कै जब ल्यावै सै खूब रोकडा
इसपै तो दिहाड़ी बणती कौनी भटकता हाण्डे खडा खडा
पढे लिखे इस जमाने मैं पढ़ाई का महत्व तो सै खूब
लेकिन शोषण करण आलै नै बणा राख्ये अनेक रूप
ना वो गर्मी देखे ना देखे सै सर्दी
उम्मीद तो राख्ये खूब भला क्यूकर हो भर्ती
आजकल के टेम राजनीति की भी हवा हुई खल्लास
डिग्री तो खूब बाटे नौकरी ना मिले, मिल जावै से लाश
सरकार अर समाज नै मिलकै कदम उठाना होगा
बेरोजगारी का यूं समाज तै बोझ सर तै तारणा होगा
मनजीत खान भी करे होण्डे सै एम ए बी एड
इसके भी नौकरी पाण खातर लिकड़ी सै दीढ़
खान मनजीत भावड़िया मजीद