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नेह से बंधे धागे प्यार के
न तुम संभाल सके न मैं ।
पूरी करते रहे सभी जिम्मेदारियाँ
न पीछे तुम हटे ,न मैं।
इक -इक कदम भी आते करीब
तो मिट जाती दूरियाँ।
एक होने को हमदम
न आगे तुम बढ़े, न मैं ।
खाई थी कसमें फलक
तक,साथ चलने की।
इक-दूजे का साथ निभाने को
न तुम चल सके, न मैं।
यूँ तो बिन तेरे, कोई शिकवा
नहीं मुझे जिंदगानी से।
बस अंदर ही अंदर घुटते रहे
न खुलकर तुम जी सके, न मैं।।
#सीमा शिवहरे’ सुमन’
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