इन्ही से आज ये श्रृष्टि अभी हैं।
बेटी मात बहू बहिने सभी हैं।
दुनिया का नाम रोशन किया।
वीरांगना बन दर्शन दिया।।
काम सारा यहा होता तभी हैं।।
बेटी मात बहू बहिने सभी हैं।।1।।
किस्मत तो सबकी होती हैं।
फिर तो क्यों बेटी रोती हैं।।
खुशियाँ चेहरों पर कभी कभी हैं।
बेटी मात बहू बहिने सभी हैं।।2।।
दुनिया सबने देखी हरदम।
लगाता कहा कोई मरहम।।
पैरो में क्यों फिर कीले चुभी हैं।।
बेटी मात बहू बहिने सभी हैं।।3।।
#नीतेन्द्र सिंह परमार ‘भारत’
परिचय : नीतेन्द्र सिंह परमार का उपनाम-भारत है। डी.सी.ए. के बाद वर्तमान में बी.एस-सी.(नर्सिंग) के तृतीय वर्ष की प़ढ़ाई जारी है। आपका जन्म १५ जुलाई १९९५ को बरेठी(जिला छतरपुर, मध्यप्रदेश) में हुआ है। वर्तमान निवास कमला कॉलोनी (छतरपुर)में है। रचनात्मक कार्य में आपके खाते में मुक्तक,गीत,छंद और कविताएं (वीर रस) आदि हैं। शास्त्रीय संगीत एवं गायन में रुचि रखने वाले श्री सिंह मंच संचालन में प्रतिभावान हैं। यह छतरपुर में ही नर्सिंग छात्र संगठन से जुड़े हुए हैं। लेखन और काव्य पाठ के शौकीन नीतेन्द्र सिंह की नजर में समाजसेवा सबसे बड़ा धर्म है, और सबके लिए संदेश भी यही है।