देखना अब सम्भव नहीं था

0 0
Read Time1 Minute, 16 Second

 

cropped-cropped-finaltry002-1.png

देखना अब सम्भव नहीं था
और जो सम्भव था
वह था दिखावा

कई सदियां बीत जाने पर
जो दृष्टि उभर कर आयी थी
वह दिखावे को देखने भर की
पुष्टि कर पायी थी

तुम  जो दिखाते
वह तुम नहीं थे
हम जो दिखाते
वह हम नहीं थे

तुम जो देखते
वह हम नहीं थे
हम जो देखते
वह तुम नहीं थे

देखने दिखाने की होड़ में
कई सरहदें बनी थीं
और कई टूट गयी थीं

और जो देखना दिखाना बाकी था
वह शौर्य की होड़ में नाकाफी था

एक आदमी जो देख रहा था
एक आदमी जो दिखा रहा था
उनमें बस एक समानता थी
कि दोनों एक ही जगह खड़े थे
जहाँ से सफर पूरा अभी बाकी था

दृष्टि अपवर्तन था
और सृष्टि समापवर्तन
और दोनों किसी अस्तित्व की व्याप्ति थे
या किसी अनजाने उलझन की समाप्ति थे

राह में सभी देखते
कोई वर्तमान
किसी रीते हुए
कालखंड का साक्षी था

अतीत के परखचों पर
अपवर्जन अब सम्भव नहीं था .

#अशोक कुमार 
हजारीबाग (झारखंड) 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

बेनकाब 

Fri Jun 29 , 2018
शोभा यात्रा के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न राजनीतिक-सामाजिक-धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई गयी।  नगर भवन में डी एम साहब सभी को संबोधित कर रहे थे – ” आप सभी प्रबुद्ध लोग हैं, जिन पर आज बहुत बड़ी जिम्मेदारी है…सामाजिक सौहार्द्र और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की। […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।