मंत्रीजी का योग

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mukesh rishi varma
सुबह के आठ बज चुके थे परन्तु मंत्रीजी अभी भी ओंधे मुँह बिस्तर पर पड़े-पड़े अजीबो-गरीब आवाजें निकाल रहे थे | तभी उनका निजी सहायक आ धमका –
‘सरजी-सरजी ! आठ बज गए और आज विश्वयोग दिवस का कार्यक्रम है | आपको मुख्य योगाचार्य की भूमिका निभाने जाना है |’

मंत्रीजी रेलगाड़ी वाले हॉर्न बजाते हुए उठ बैठे | आलस्यभरी झमाइयां लेते हुए बोले –
‘अरे सम्पत ! तुम भी सुबह-सुबह आ जाते हो, ठीक से सोने भी नहीं देते | तुम्हें तो पता ही है रात देर तक जागना पड़ा, सांसद भोज का आयोजन जो किया था |’

‘वो सब तो ठीक है, लेकिन सोशल मीडिया पर लोग आपके इस आयोजन को मृत्युभोज बता रहे हैं |’ सम्पत कुछ ड़रते हुए बोला |

‘पर… हमने तो अपनी खरीदी मीडिया को बिहार भेज दिया था, अपने पक्ष में खबर दिखाने के लिए |’ मंत्रीजी कुछ चिन्तित होते होते हुए बोले |

‘लोगों ने तो आपकी भेजी मीडिया को गिद्ध घोषित कर दिया… गिद्ध !’

‘क्या बकते हो ?’ मंत्रीजी लाल-पीले होते हुए सम्पत पर चिल्ला पड़े |

झिझकते-हकलाते हुए जी-हजूरी वाले लहजे में सम्पत बुदबुदाया –
‘अरे साहबजी… लघु मीडिया ने मरते बच्चों की तस्वीरें उजागर कर दीं और वे यहीं नहीं रुके रोते-चीखते, बिलखते माँ-बाप की तस्वीरें भी देश-दुनिया को दिखा दीं | लोगों में गुस्सा है |’

‘हुँ… गुस्सा है, जब तक वोट देने का समय आयेगा, सब भूल जायेंगे |’ मंत्रीजी कुटिल हंसी हंसते हुए बोले |

‘अच्छा ठीक है, ये बस तो चलता रहा है, चलता रहेगा, गरीब हैं, मेरा ज्यादा से ज्यादा क्या कर लेगें, दो-चार गाली देंगे अपनी झोपड़ियों में बैठकर | सब बेकार की बातें छोड़ो… योग करने जाना है | हम तैयार होते हैं |’

मंत्रीजी के योग की देश-दुनिया के न्यूज चैनलों, बड़े-बड़े समाचार पत्रों और खासकर मंत्रीजी के चैले-चपाटों ने खूब सराहना की |

#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।