गलत समय में की गई
गलत जिद्द के
नहीं मिलते कभी भी
परिणाम अच्छे !
इस समय होगी यदि हठधर्मिता
तो पड़ेगा पछताना , निश्चित ही।
जिद्द करना ही हो जरूरी ,
तो रखें – समय की अनुकूलता और
परिस्थितियों का ख्याल
बनाएं माहौल ऐसा ,
जो दे सके वांछित परिणाम ।
परखें स्वयं को भी बार – बार ।
सोचें , कर रहे हैं जो हठ , हम
क्या वह भविष्य में बनेगा तो नहीं
खुद की या अपनों की
तकलीफ का कारण ।
हो यदि ऐसा – तो ,
नहीं है कोई बुराई
छोड़ देने में अपनी जिद्द ।
जिद्द अक्सर आती है मन में
सिर्फ और सिर्फ अहम के कारण
होता ही जिसका फिर पछतावा
समय निकल जाने के बाद
जो छोड़ जाता है वह दुष्परिणाम
जिसके लिए नहीं होता है
कोई भी सहर्ष तैय्यार ।
# देवेन्द्र सोनी , इटारसी