हिन्दी का दुर्भाग्य
हिन्दीभाषी देश, जिसकी राजभाषा हिन्दी है, वही वित्तीय संस्थान का तुगलकी फरमान ….
आख़िर #हिन्दी में चेक भरना क्या गुनाह है?
या विदेशी ताकतों के आगे बिका हुआ तंत्र अब #हिन्दी को इस तरह से लज्जित करके विलुप्ता की ओर ले जाएगा |
प्रधानमंत्री Narendra Modi जी , कम से कम आप तो विचार कीजिए…. आख़िर किस साजिश का हिस्सा है यह…..?
हिन्दी को प्राण तक अर्पण करने वाले हम हिन्दी भाषियों का इस तरह तिरस्कार मत कीजिए ….
हिन्दी हमारी मातृभाषा है, हम हिन्दी को #राष्ट्रभाषा का दर्जा चाहते है…. और ये राह के रोड़े हमारा मनोबल नहीं तोड़ पाएँगे …
माँ सरस्वती के साधकों का अपमान, अब और नहीं सहेगा हिन्दुस्तान….
देश की #सीमाएँ संभाल नहीं रही, #गौवन्श की रक्षा कर नहीं पा रहे, #सैनिकों के सिर बचाने में असमर्थ है आप… अब रही-सही #भाषा पर भी नकेल…..
अभी भाषावाद ने अपना रंग नहीं दिखाया है…. वरना देश जवाब देना भी जनता है ….
आपसे ये अपेक्षाएँ नहीं थी देश की….
—– अर्पण जैन ‘अविचल’
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