हाथ की लकीरो के भरोसे ,
सुनो ,कभी तुम मत रहना ।
ये सब कहने की बातें ,
मन में वहम तुम मत रखना ।।
मेहनत का फल मिलेगा जब ,
पसीना परफ्यूम ज्यूँ महकेगा ।
खून-पसीना लगेगा तब ,
भाग्य अपने आप चमकेगा ।।
भाग्य का निर्माण स्वयं करेंगे ,
कोई नही इसे लिखेगा ।
जिंदगी की इन राहो में ,
आसान सफर नही मिलेगा ।
भाग्य के भरोसे रहने वाले ,
कर्म के बीज नही बोते है ।
अरे ,भाग्य तो वो भी लिखते है ,
जिनके हाथ नही होते है ।।
पुश्तैनी दौलत जिनके होती ,
वो घोड़े बेच कर सो जाते है ।
मेहनत की रोटी खाने वाले ,
इतिहास में अमर हो जाते है ।।
भाग्य के भरोसे रहने वाले ,
थोथली उड़ान भरते है ।
चार दिन की चाँदनी होती ,
फिर दर-दर भटकते है ।।
खून पसीने का एक रुपया ,
सोने की मोहर ज्यूँ लगता है ।
किस्मत को चमकाने के लिए ,
इंसान दिन रात जगता है ।।
मेहनत करते जाओ तुम ,
किस्मत दौड़ती हुई आएगी ।
” जसवंत ” तेरी मेहनत जरूर ,
लोगों में जागरूकता लाएंगी ।।
नाम – जसवंत लाल बोलीवाल ( खटीक )
पिताजी का नाम – श्री लालूराम जी खटीक ( व.अ.)
माता जी का नाम – श्रीमती मांगी देवी
धर्मपत्नी – पूजा कुमारी खटीक ( अध्यापिका )
शिक्षा – B.tech in Computer Science
व्यवसाय – मातेश्वरी किराणा स्टोर , रतना का गुड़ा
राजसमन्द ( राज .)