
सुने जो तेरे ये हालात,दिल डूब
चला था मैं जो तुम्हें जीना सिखा
ख़ुद ही भूल गयाl
न मेरे पास वो अल्फ़ाज़ बचे,
न दिल में अब वो साहस है..
कैसे समेटूँ मैं तुझको,
देख के तेरे ये ग़म ,
मैं ख़ुद ही बिखर गयाl
हर आँसू को पी लेना,
हर ग़म को हंस के जी लेना..
यही तो कहता रहा मैंl
मगर देख के तेरे आँसू,
मैं ज़िंदादिली भूल गयाl
#डॉ.संजय यादव
परिचय : राजस्थान के ज़िला-झुंझनू में डॉ.संजय यादव का मूल निवास हैl गाँव-पचेरी छोटी(तहसील-बूहाना) के डॉ.यादव की शिक्षा एमबीबीएस है,और वर्तमान में दिल्ली में ही रहकर कार्य कर रहे हैंl ग़ज़ल,कविताएँ और मुक्तक लिखने का शौक रखते हैंl सामाजिक मुद्दों पर अधिक लिखते हैं जो कुछ अखबारों में प्रकाशित भी हुए हैंl