सुन्दर अपना देश है, सुन्दर जग में शान।
वन्य खेत गिरि मेखला,सरिता सिंधु महान।
सरिता सिंधु महान, ऋतु ये हैं मन भावन।
पेड़,गाय,जल,आग, इन्हे मानें हम पावन।
कहे लाल कविराय, बरसते यहाँ पुरंदर।
सुन्दर सोच विचार, बोल भाषा सब सुन्दर।
.
वंदन सुन्दर हो रहा, सुन्दर शुभ परिवेश।
सुन्दर फल फूलों सजे,सुन्दर जिसका वेश।
सुन्दर जिसका वेश, कहें हम भारत माता।
सागर चरण पखार, लगे ज्यों वंदन गाता।
कहे लाल कविराय,करें हम भी अभिनंदन।
सुन्दर साज सँवार, करें भारत माँ वंदन।
.
सुन्दरता मन की भली, तन को देखे भूल।
सिया स्वर्ण मृग देख के, भूली ज्ञान समूल।
भूली ज्ञान समूल, लोभ मन में गहराया।
जागा नहीं विवेक, विचित्र निशाचरि माया।
कहे लाल कविराय, छले सुन्दरता तन की।
सुन्दरता सत भाव, प्रीत गुण होती मन की।
.
कंचन वर्णी गात हो, गुण मर्याद विहीन।
सुन्दरता कैसे कहूँ, रीत प्रीत मति हीन।
रीत प्रीत मति हीन,गर्व जो तन पर करते।
सुन्दरता वह मान, मान हित देश पे मरते।
कहे लाल कविराय, शहीदी गाथा मंचन।
सुन्दरता मत मान, छलावा काया कंचन।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः