हेमंत श्रीमाल: हिन्दी गीतों की गमक ● डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ इस लालकिले की पावन माटी कुमकुम की पहचान है ये मेरा हिन्दुस्तान है, ये मेरा हिन्दुस्तान है जिसकी सुबहें चांदी, संध्या केसर की बरसात करे जिसकी रातें इंद्रपुरी के मौसम को भी मात करें चंदन वन का परिचय मिलता […]

रश्मिरथी अतुल ज्वाला : हास्य की इंदौरी परिभाषा ● डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ गम आँसू खामोशी को शर्मिंदा रखने के लिए, कुछ जगह रखिये हँसीं का परिंदा रखने के लिए । उदासी मत सजाइये चेहरे के गुलदान में, हँसी बहुत जरूरी है खुद को जिंदा रखने के लिए । -अतुल […]

रश्मिरथी डॉ.कविता ‘किरण’: मरुधर की माटी से काव्य धरती के शृंगार तक डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ छुपके सिरहाने में रोते हैं लोग दीवाने क्यों होते हैं हर गहरी साजिश के पीछे दोस्त पुराने क्यों होते हैं बन गये दिल पर बोझ जो ऐसे साथ निभाने क्यों होते हैं हर युग […]

रश्मिरथी राहुल व्यास:  ग्रामीण परिवेश से काव्य मंचों के गौरव तक  डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ मौत अटल है…. आ तू, ऐसे क्यों खड़ी है, जिया हूं ज़िन्दगी तो मौत भी एक घड़ी है । शाश्वत है सब कुछ तो भी अंजाम जटिल है, इंतजार सबकुछ नहीं होता, मौत अटल है । अब तो […]

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रश्मिरथी अमन अक्षर: रत्नगर्भा मध्यप्रदेश का नव काव्य प्रकाश डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ देह बनवास को सौप कर वो चला चित घर की दिशा, शेष जाने किधर। १३ जून १९९० को निमाड़ की धरती पर खंडवा के पास ग्राम मुंदी में जन्मे और वर्तमान में इंदौर में रहने वाले अमन जिन्होंने बी टेक  […]

रश्मिरथी अरुण जैमिनी:  हास्य के रंग में साहित्य की किलकारी  डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ सरकारी कार्यालय में नौकरी मांगने पहुँचा तो अधिकारी ने पूछा “क्या किया है” मैंने कहा- “एम.ए.” वो बोला- “किस में” मैंने गर्व से कहा- “हिन्दी में” उसने नाक सिकोंड़ी “अच्छा… हिन्दी में एम.ए. हो बड़े बेशर्म हो अभी तक […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।