मातृभाषा के बारे में

मातृभाषा डॉट कॉम का परिचय

हिन्दी भाषा का समृद्ध इतिहास लगभग एक हज़ार वर्ष पुराना है और इसी दौरान हिन्दी ने बहुत परिवर्तन भी देखे हैं। लेखन, पुस्तकें, अख़बार से लेकर वर्तमान के इंटरनेट के युग की उपस्थिति भी हिन्दी से गुज़री। इस समय लेखक और पाठक दोनों का ही आंकलन उनकी डिजिटल उपस्थिति, सक्रियता और गुणवत्ता से किया जा रहा है। आज के दौर में एक वेबसाइट मातृभाषा डॉट कॉम लगातार आधे दशक से भी अधिक समय से अपनी सक्रियता से हिन्दी के विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रही है। इस वेबसाइट के साथ पाँच हज़ार से ज़्यादा लेखक व 20 लाख से अधिक पाठक जुड़े हैं।

हिन्दी भाषा की कई विधाएँ, जिनमें या तो लेखन बंद ही हो गया या कम हो रहा है, जैसे रिपोतार्ज, संस्मरण, पत्र लेखन, लघुकथा, डायरी, आदि, ऐसी विधाओं को बचाने का ज़िम्मा उठाने के लिए, साथ ही नए रचनाकारों और विधा के स्थापित रचनाकारों के लेखन को संग्रहित कर पाठकों तक उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से 11 नवम्बर 2016 को मध्य प्रदेश की साहित्यिक राजधानी इंदौर से एक वेबसाइट ‘मातृभाषा.कॉम’ आरम्भ हुई थी। मातृभाषा उन्नयन संस्थान की इकाई के रूप में यह वेबसाइट हिन्दी के प्रति जागरुकता लाने और रचनाकारों को मंच देने में भी अग्रणी बनती जा रही है।
मातृभाषा डॉट कॉम के संस्थापक व संपादक इन्दौर के युवा पत्रकार और लेखक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ हैं। डॉ. अर्पण जैन इन्दौर सहित सम्पूर्ण भारत में हिन्दी भाषा के प्रचार के लिए कार्य करते हैं, वह मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। डॉ. अर्पण जैन ने हिन्दी साहित्य से जनता को आसानी से जोड़ने के उद्देश्य और हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए एक प्रकल्प शुरू किया, जिसमें हिन्दी के नवोदित एवं स्थापित रचनाकारों को मंच उपलब्ध करवाने के साथ-साथ हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने के
इस प्रकल्प में डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ के साथ हैं इंदौर से श्रीमती शिखा जैन, दिल्ली से भावना शर्मा, आगरा से गणतंत्र ओजस्वी व अन्य साथियों का दल सक्रिय है। इस अंतरजाल पर वर्तमान में 3500 से ज़्यादा नवोदित व स्थापित रचनाकार जुड़कर 22 से अधिक विधाओं में 45 से अधिक श्रेणियों में लेखन कर रहे हैं, जिसमें डॉ. वेद प्रताप वैदिक, डॉ. दिविक रमेश, फ़िल्म अभिनेता आशुतोष राणा, राजकुमार कुम्भज, योगेन्द्र यादव, अमित शाह, गिरीश पंकज, सुभाष चन्दर, डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी आदि कई नाम हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के उपक्रम मातृभाषा.कॉम के माध्यम से हिन्दी के विस्तार को दिशा देने के सैंकड़ो प्रयास किए। मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा ‘हस्ताक्षर बदलो अभियान’ चलाया जा रहा है, जिसके तहत जनता के बीच पहुँचकर हिन्दी में हस्ताक्षर हेतु प्रेरणा देंगे। वर्तमान में 21 लाख से अधिक लोगों ने संस्थान के साथ जुड़कर अपने हस्ताक्षर हिन्दी में कर लिए हैं। मातृभाषा.कॉम के माध्यम से देशभर में संवाद, चर्चा, व्याख्यान जैसे कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं, साथ ही, साहित्य पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। इस वेबसाइट के माध्यम से लगभग 100 से अधिक ऐसे पत्रकार जुड़े है जो साहित्य पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। दस लाख से अधिक पाठकों की पसंद के लिए मातृभाषा डॉट कॉम अग्रणीय है।
मातृभाषा द्वारा प्रतिमाह संवाद, कवितागोई, गद्यांश, विमोचन, चर्चा इत्यादि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लेखकों का पाठकों से जुड़ाव होता है।
मातृभाषा डॉट कॉम विगत पाँच वर्षों में 20 लाख से अधिक पाठकों की पहली पसंद बन चुका हैं। हिन्दी साहित्य की विधाओं का श्रेष्ठ लेखन वेबसाइट पर उपलब्ध है।

वेबजाल का पता है- http://www.matrubhashaa.com/

इंस्टाग्राम/Instagram
https://instagram.com/matrubhashaa?igshid=ZDdkNTZiNTM=

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मातृभाषा. कॉम से जुड़े तथ्य

  1. नवम्बर 11 वर्ष 2016 को डॉ. अर्पण जैन अविचल ने मातृभाषा डॉट कॉम आरम्भ किया।
  2. वेबसाइट पर हिन्दी साहित्य की लगभग 45 श्रेणियाँ हैं, जिसमें पठनीय सामग्री हैं।
  3. मातृभाषा डॉट कॉम से लगभग 3500 से अधिक रचनाकार जुड़े हैं।
  4. लगभग 15000 से अधिक रचनाएँ और साहित्य समाचार उपलब्ध हैं।
  5. हिंदी साहित्य के क्षेत्र में देश की अनोखी वेबसाइट जो देशभर में अपने संवाददाताओं के माध्यम से साहित्य जगत के समाचार प्राप्त करती है।
  6. मातृभाषा डॉट कॉम के 100 से संवाददाता/साहित्य पत्रकार हैं।
  7. तकनीकी रूप से लगभग 1000 से 1500 नए आगंतुक प्रतिदिन वेबसाइट पर जुड़ते हैं।
  8. वेबसाइट पर प्रतिमाह 30000 से अधिक विजिट्स होती हैं।
  9. प्रतिमाह लगभग 100 से अधिक नए रचनाकार वेबसाइट से जुड़ रहे हैं।
  10. मातृभाषा पर लगभग 100 से अधिक पुस्तकों की समीक्षाएँ भी उपलब्ध हैं।
मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल जी द्वारा मातृभाषा डॉट कॉम की विवरणिका का लोकार्पण किया।

समाचार पत्रों में मातृभाषा डॉट कॉम

मातृभाषा.कॉम क्या है?
भाषा के विस्तृत सागर में ‘हिन्दी’ भाषा के प्रति प्रेम और उसी भाषा की लुप्त होने की कगार पर खड़ी विधाएँ ख़ासकर रिपोतार्ज, संस्मरण, पत्र लेखन, लघु कथा, डायरी, आदि को बचा कर नए रचनाकारों और विधा के स्थापित रचनाकारों के लेखन को संग्रहण के साथ-साथ भाषा के पाठकों तक अच्छी रचना उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से अहिल्या नगरी इंदौर (मध्यप्रदेश) से हिन्दी वेबपोर्टल ‘मातृभाषा.कॉम’ का आरम्भ हुआ। मातृभाषा की स्थापना के साथ ही अब मातृभाषा.कॉम हिन्दी के प्रचार-प्रसार और हिन्दी के प्रति जागरुकता बढ़ाने के प्रति भी बेहद ज़िम्मेदार बनती जा रही है। इससे जुड़े लेखकों, कवियों तथा साहित्यकारों आदि कई प्रतिभाओं की रचनाओं को संजोकर एक ही स्थान पर पाठक को सहजता से उपलब्ध कराने के लिए यह प्रयासरत है। इसके लिए इसी क्षेत्र में कई नवीन योजनाएँ लाई जा रही हैं। मातृभाषा.कॉम हिन्दी वेबसाइट है, जिसका उद्देश्य हिन्दी के नवोदित और स्थापित रचनाकार, जो भाषा सारथी हैं, उनकी रचनाओं को सहेज कर लोगों तक ऑन लाइन उपलब्ध कराना है, जो इससे गहरा लगाव रखते हैं।

मातृभाषा.कॉम की आवश्यकता क्यों?

वर्तमान में हिन्दी भाषा के अस्तित्व पर कई प्रश्नचिह्न लग रहे हैं। शनै: शनै: भाषा के सारथी स्वयं ही अपनी मातृभाषा हिन्दी के प्रति उत्तरदायी नज़र नहीं आ रहे हैं। बच्चों की अंग्रेज़ियत आधारित शिक्षा से मातृभाषा के प्रति प्रेम में कमी नज़र आ रही है। साहित्यकारों की रचनाएँ आधुनिक युग के अनुसार अंकरूपण ( डिजिटलाइज़ेशन) की दुनिया में कम हो रही हैं। और यह भी कटु सत्य है क़ि भारत में हिन्दी को केवल राजभाषा का दर्जा है, न कि राष्ट्र भाषा का। भारत में अधिकांश लोग हिन्दी को राष्ट्रभाषा मानते हैं। देश की सर्वाधिक जनसंख्या हिन्दी समझती है और अधिकांश हिन्दी बोल लेते हैं। लेकिन यह भी एक सत्य है कि हिन्दी इस देश की राष्ट्रभाषा है ही नहीं। सूचना के अधिकार के तहत भारत सरकार के गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा मिली सूचना के अनुसार भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिन्दी भारत की ‘राजभाषा’ यानी राजकाज की भाषा मात्र है। भारत के संविधान में राष्ट्रभाषा का कोई उल्लेख नहीं है। नवोदित रचनाकारों को सुव्यवस्थित मंच की आवश्यकता है, जहाँ उन्हें स्थापित भाषा सारथियों द्वारा मार्गदर्शन भी मिलता रहे, भाषा के आधार स्तंभ अपनी रचनाओं से हिन्दी की जागरुकता हेतु ‘वैचारिक महाकुंभ” में अपना योगदान देते रहें।

इतिहास व विकास
मातृभाषा.कॉम की स्थापना 11 नवम्बर 2016 को डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ द्वारा की गई थी। अंतरताने को तैयार करने और स्थापित करने के पीछे डॉ. अर्पण जैन का एक मात्र यही उद्देश्य रहा कि हिन्दी साहित्य जगत से जनता को सुगमता से जोड़ते हुए भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु एक प्रकल्प स्थापित करना, जिसमें हिन्दी के नवोदित एवं स्थापित रचनाकारों को मंच उपलब्ध करवाने के साथ-साथ हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने का लक्ष्य निहित है। भारत में मातृभाषा हिन्दी के रचनाकारों की बहुत लंबी सूची है, किन्तु समस्या यह है कि उन रचनाओं को सहेजकर एक ही स्थान पर पाठकों के लिए उपलब्ध करवाने में असफलता मिलती है। इस दिशा में ‘मातृभाषा.कॉम‘ ने पहल की है। इस पटल के माध्यम से हिन्दी के प्राथमिक ककहरा से लेकर अन्य विधाओं का परिचय करवाते हुए साहित्य को समृद्ध बनाया जा रहा है। स्वयं सेवा के माध्यम से सम्पादकीय विभाग बनाया गया, जो नवांकुर और स्थापित रचनाकारों का सृजन पाठकों तक पहुँचा रहा है।
31 दिसंबर 2016 तक पटल के प्रारंभिक दौर में 50 रचनाकार जुड़े। इसके बाद पटल के माध्यम से हिन्दी में हस्ताक्षर करने के बारे में जागरुकता शुरू की गई, जिसे ‘हस्ताक्षर बदलो अभियान’ नाम दिया गया। स्थापना का एक वर्ष पूरा होते-होते मातृभाषा.कॉम में 800 से अधिक रचनाकारों की 2500 से ज़्यादा रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।
मातृभाषा.कॉम पर हिन्दी साहित्य की विधाओं जैसे साहित्य, काव्यभाषा, आलोचना, संस्मरण, यात्रा, लघुकथा, उपन्यास, व्यंग्य, पुस्तक समीक्षा, साक्षात्कार, हायकू आदि के साथ-साथ वैश्विक चिंतन, राष्ट्रीय एवं समसामयिक मुद्दों पर टिप्पणियाँ, अर्थ, फ़िल्म, विधि, खेल, स्वास्थ्य, धर्म-दर्शन, मीडिया, आधी आबादी आदि विषयों पर भी सामग्री संयोजित है।
वर्तमान में अंतरजाल पर 3000 से अधिक रचनाकारों का लेखन उपलब्ध है, जिसमें भारत के प्रसिद्ध रचनाकारों जैसे डॉ. वेद प्रताप वैदिक, डॉ. दिविक रमेश, राजकुमार कुम्भज, प्रभु जोशी, डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी, डॉ. मोहसिन खान, मधुदीप गुप्ता, सहित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव, फ़िल्म अभिनेता आशुतोष राणा सहित कई नाम हैं और भारत के 29 राज्यों के रचनाकार जुड़े हैं। इसी के साथ मातृभाषा.कॉम वर्तमान में संचालित समस्त अन्तरतानों में सर्वाधिक प्रचलित और सुव्यवस्थित स्रोतों में से एक है।

अंतरताना (वेबसाइट ) पर उपलब्ध घटकों की विशेषता :

मातृभाषा.कॉम पर चिंतन, समसामयिक, वैश्विक, राष्ट्रीय, स्थानीय, स्वास्थ्य, विज्ञान, वैज्ञानिक, आविष्कार, मीडिया, चौथा खम्बा, नैतिक शिक्षा, संस्कार, आधी आबादी, पर्यटन, धर्मदर्शन, विधि, साहित्य, काव्यभाषा, लघुकथा, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा, पुस्तक चर्चा, निबंध, व्यंग्य, आलोचना, संस्मरण, यात्रा, उपन्यास, साक्षात्कार, हायकू, बाल साहित्य, बाल काव्य, बाल कथा, व्यक्तित्व, शख़्सियत, रश्मिरथी, मनोरंजन, फ़िल्म, खेल, संगीत सहित साहित्य जगत से जुड़े समाचार मध्य प्रदेश सहित सभी राज्यों के प्रसारित किए जाते हैं। वर्तमान में साहित्य जगत के समाचारों के लिए कोई भी अंतरताना अथवा पत्रिका पूर्णता नहीं प्राप्त कर पाई है, ऐसे दौर में साहित्य समाचारों के लिए मातृभाषा.कॉम की विशेषता यही है।

साहित्य समाचारों का वृहद मंच ‘मातृभाषा.कॉम’
वर्तमान दौर में पत्रकारिता के स्तर में कई बदलाव हो रहे हैं। ऐसे कठिन दौर में साहित्य पत्रकारिता की स्थिति और अधिक चिंताजनक है। देश में सैंकड़ो पत्र-पत्रिकाएँ साहित्य के समाचार प्रकाशित करते तो हैं किन्तु साहित्य पत्रकारिता के उन्नयन के लिए प्रयासों में कमी ही नज़र आ रही है। साहित्यिक जगत में आयोजित होने वाले कार्यक्रम, विमर्श, संवाद इत्यादि की जानकारियाँ समय पर साहित्य जगत तक नहीं पहुँच पातीं और न ही साहित्य जगत की सहज सहभागिता हो पा रही है। इसके पीछे दो महत्त्वपूर्ण कारण हैं, पहला कुशल साहित्य पत्रकारों की नियुक्तियों के प्रति उदासीनता और दूसरा प्रशिक्षण और सहभागिता। इन दोनों चिंताओं से अवगत होते हुए मातृभाषा.कॉम के सम्पादकीय और प्रसार विभाग की सहभागिता और सक्रियता से साहित्य पत्रकारों की विशिष्ट नियुक्तियाँ मध्य प्रदेश सहित देश के 17 राज्यों में की गई हैं और उनका प्रशिक्षण कार्यक्रम भी लगातार जारी है। इस प्रकोष्ठ के माध्यम से हिन्दी भाषा के प्रचार और प्रसार के साथ-साथ हिन्दी को रोज़गारमूलक बनाने के लिए भी प्रयास जारी हैं। अब तक मातृभाषा.कॉम से लगभग सौ से अधिक साहित्य पत्रकार तैयार हो चुके हैं।

उल्लेखनीय गतिविधियाँ/ उपलब्धियाँ/ प्रतिभागिता:
मातृभाषा.कॉम के द्वारा हिन्दी रचनाकारों को मंच देने के उद्देश्य से ‘मातृभाषा.कॉम’ साझा संग्रह भी निकाला गया था, साथ ही, समय-समय पर काव्य गोष्ठियाँ, परिचर्चा भी आयोजित की जाती हैं। इसी अंतरजाल के माध्यम से लगभग बीस लाख से अधिक लोगों ने प्रतिज्ञा पत्र देकर हिन्दी में हस्ताक्षर करने की प्रतिज्ञा ली है। वार्षिक रूप से यह संस्थान हिन्दी रचनाकारों को प्रोत्साहन स्वरूप सम्मानित भी करता है। प्रतिवर्ष के एक साझा संग्रह के अनुसार अब तक चार साझा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।

साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश शासन द्वारा सम्मानित मंच

अपनी उच्च स्तरीय साहित्यिक गतिविधियों व साहित्य प्रकाशन के कारण साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के ‘अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कर (राशि एक लाख रुपए)’ के लिए मातृभाषा डॉट कॉम के सम्पादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ का चयन किया गया। यह पुरस्कार उन्हें मातृभाषा डॉट कॉम के लिए प्रदान किया गया।

मातृभाषा.कॉम के साथ आप कैसे जुड़ सकते हैं?
आप एक पाठक के रूप में मातृभाषा से जुड़ कर कविता, आलेख, व्यंग्य, लघुकथा, चिकित्सा से जुड़े आलेख, घनाक्षरी, हायकू, कहानियों आदि का आनंद ले सकते हैं। अगर आप एक लेखक के तौर पर जुड़ना चाहें तो आप प्रथम बार अपना सम्पूर्ण परिचय मय छाया चित्र के साथ अपनी एक रचना अणुडाक (ईमेल) matrubhashaa@gmail.com के माध्यम से भेज सकते हैं या व्हाट्सएप्प +91-9406653005 पर भेज सकते हैं। इसके भेजने के एक या दो कार्यदिवस में आपकी प्रथम रचना प्रकाशित हो जाएगी। इसके बाद आपको अगली बार अपने मेल से रचनाएँ भेजनी होंगी।

मातृभाषा.कॉम की कार्य योजना:

  1. विद्यालयों-महाविद्यालयों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार हेतु गोष्ठी, विचार मंच और कार्यशाला आदि का आयोजन करना।
  2. हिन्दी में हस्ताक्षर करने के लिए लोगों को जागरुक करना।
  3. हिन्दी भाषी राज्यों में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में अंग्रेज़ी भाषा में लगे सूचना पटल (साइन बोर्ड) को हिन्दी में परिवर्तित करने हेतु जागरुक करना।
  4. हिन्दी भाषी राज्यों में शासकीय कार्यालयों में सूचनापटल हिन्दी में भी हो, इस हेतु प्रयास करना।
  5. स्नातक एवम् स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में हिन्दी भाषा में घट रही प्रवेश संख्या के प्रति लोगों में जागरुकता लाना।
  6. शासकीय कार्यालयों में हिन्दी कार्यशाला लगाना।
  7. प्रत्येक ग्राम, नगर और प्रान्त में साहित्य पत्रकारों की नियुक्ति करके प्रशिक्षण प्रदान करना।
  8. साहित्य जगत की धरोहरों का सम्मान करना तथा उनके लेखन को डिजिटलाइज़ करते हुए जनसामान्य तक उपलब्ध करवाना।
  9. हिन्दी भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए युवाओं को हिन्दी से जोड़ना।
  10. साहित्यकारों के भविष्य और उपचार इत्यादि के लिए साहित्यकार कल्याण कोष का निर्माण करते हुए ज़रूरतमंद साहित्यकारों को सहायता उपलब्ध करवाना।

मातृभाषा डॉट कॉम एक वेबसाइट नहीं, आंदोलन है

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।