एक तो उसने ऑटो रिक्शा वालों की आम प्रवृत्ति के विपरीत वाज़िब पैसे ही मांगे थे, दूसरे सवारी के बैठने वाले पिछले भाग में दोनों ओर पारदर्शी प्लास्टिक के परदे लगाए हुए थे, जो ऊपर और नीचे दोनों ओर से ऑटो के साथ अच्छी तरह बाँधे हुए थे। इस कारण […]

फसल कट जाने के बाद आदिवासी मजदूर बेकार हो जाया करते थे। हर वर्ष उस समय शहर से एक ठेकेदार वहां आता था और उन सब को शहर ले जाकर मजदूरी कराया करता था। इस बार फसल कट चुकी थी, पर ठेकेदार नहीं आया था। गांव की उस बस्ती के […]

       दिमाग़ खालीपन का शिकार हो चला था। कुछ दिन से  कोई भी आइडिया काम नहीं कर रहा था। बाल मज़दूरी, भुखमरी, शहर के हर चौराहे की रेड लाईट पर करतब दिखाकर भीख मांगती गंदी-गंदी बच्चियाँ, कन्या-भ्रूण हत्या, स्टेशन पर शताब्दी के रुकने पर अपटूडेट मुसाफ़िरों द्वारा छोड़ी गयी जूठन […]

रफ्तार तेज नहीं थी बाइक की। धीमी रफ्तार से ही आॅफिस से घर लौट रहा था मैं। तभी अचानक वह बाइक के सामने से गुजरी। एक पल लगा – आ ही गयी पहिए के नीचे। पूरी ताकत से मैंने बाइक को ब्रेक लगाया। वह तो बच गई पर मैं गिर […]

नयी कंपनी खुली थी। सारे कर्मचारी अलग-अलग प्रदेशों के थे। आज सभी के बैंक खाते में पहला वेतन जमा होने वाला था। दोपहर में कुछ कर्मचारी साथ में बैठे चाय पी रहे थे। तभी उनमें से एक ने, जिसका नाम प्रखर था, चाय की चुस्की लेते हुए कहा – ‘यार, […]

“दादा जी! हम बूढ़े क्यूँ हो जाते हैं?” अकेले बैठे दादा जी, पोते को कुछ देर निहारते हैं। चारों तरफ़ देखते हैं। आँखों में, बचपन से लेकर बुढ़ापे तक का सफ़र तैर जाता है। भीगी आँखें और कपकपाती ज़ुबान से इतना ही बोल पाए, ” ताकि.. हमारे मरने पर..किसी को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।