● अनिल त्रिवेदी मौन का विस्तार अनन्त है या यह भी कहा जा सकता हैं कि मौन की व्यापकता सीमा से परे होकर मौन पूर्णत:असीम हैं। मौन ध्वनि विहीन होते हुए भी सार्थक होकर, एक तरह से शब्दों की निराकार अभिव्यक्ति है। जैसे प्रकाश निशब्द होकर सतत कम ज्यादा तीव्रता […]
धर्मदर्शन
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