पत्रकारिता की राजधानी का हस्ताक्षर इंदौर प्रेस क्लब

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स्थापना दिवस विशेष

हिन्दी पत्रकारिता की राजधानी कहा जाने वाला इन्दौर अपनी हर क्षेत्र की यात्रा का साक्षी है। इस शहर में पत्रकारिता अपने पेशेवरपन से ज़्यादा अपनेपन से संचालित रही है। शहर की समस्याओं को सत्ता के केन्द्र से लेकर निकाय की मेज़ तक पहुँचाने का माद्दा रखने वाले पत्रकारों की तपस्थली के रूप में इंदौर प्रसिद्ध भी है। राहुल बारपुते, प्रभाष जोशी, राजेन्द्र माथुर, माणकचंद वाजपेयी मामाजी, शरद जोशी, डॉ प्रभाकर माचवे, अजित प्रसाद जैन, दिनेश अवस्थी से लेकर जवाहर चौधरी, डॉ. वेदप्रताप वैदिक, प्रकाश हिन्दुस्तानी जैसे मूर्धन्य पत्रकारों व सम्पादकों के तपबल से सिंचित यह उर्वरा भूमि अपने यश से सम्पूर्ण भारत के मानचित्र में दैदीप्यमान है।
वैसे तो 1957 में 30 लोगों ने इन्दौर की पत्रकारिता के एक संगठन की परिकल्पना की और इसी कड़ी में इन्दौर के पत्रकारों के प्रतिनिधित्व के लिए 9 अप्रैल 1961 को मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री भगवंतराव मंडलोई ने इंदौर प्रेस क्लब का उदघाटन किया। स्थानीय हिन्दी साहित्य समिति के सभागार में प्रदेश के तात्कालिक शिक्षा मंत्री डॉ. शंकरदयाल शर्मा की अध्यक्षता, राज्य के तात्कालिक वित्तमंत्री श्री मिश्रीलाल गंगवाल व नगर निगम इन्दौर के तात्कालिक महापौर श्री आर. एन. जुत्शी के आतिथ्य में इंदौर प्रेस क्लब का गठन किया गया। नगर निगम इंदौर के तात्कालिक जनसंपर्क अधिकारी श्री महेन्द्र तिवारी प्रेस क्लब की तदर्थ समिति के संयोजक थे। अस्थाई रूप से प्रेस क्लब कार्यालय एवं गतिविधियों के लिए जूना राजवाड़ा स्थित सूचना विभाग के एक कक्ष को उपयोग में लिया गया।

इंदौर प्रेस क्लब की पहचान मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश में महनीय है, अपने पत्रकार साथियों की चिन्ता करने, उनके सुख-दुःख में सदैव साथ रहने की यह जिजीविषा प्रेस क्लब को अलग बनाती है।


यहाँ पर 8 मई 1962 को कार्यालय खोला गया जो प्रतिदिन संध्या 6 बजे से 10 बजे तक खुला रखा जाता था। लेकिन उस दौरान अतिथियों के आगमन पर कार्यक्रम रखने की समस्या हो जाती थी। उसी दौरान 19 मई 1962 को जब प्रेस क्लब ने अपने बीच तत्कालीन रक्षामंत्री श्री कृष्ण मेनन को बुलाया तो कार्यक्रम मेडिकल कालेज के सभागार में रखा गया।
स्थापना के दो माह उपरांत 1 जुलाई 1962 को प्रेस क्लब के प्रथम चुनाव हुए, जिसमें सर्वसम्मति से नईदुनिया के प्रधान सम्पादक श्री राहुल बारपुते प्रेस क्लब के संस्थापक अध्यक्ष बने और उनके नेतृत्व में 11 वर्ष तक प्रेस क्लब संचालित भी हुआ। प्रथम कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष श्री अजित प्रसाद जैन, सचिव ओ.पी. तनेजा, संयुक्त सचिव श्री महेन्द्र त्रिवेदी और कोषाध्यक्ष श्री सुमन वर्मा बने।
कुछ वर्षों बाद 1 जनवरी 1965 को नगर निगम ने स्टेडियम में एक कमरा प्रेस क्लब को किराए पर दिया, जिसका किराया 11 रुपये प्रतिमाह हुआ करता था। एम.टी.एच कम्पाउंड स्थित वर्तमान भवन में जुलाई 1968 में प्रेस क्लब को मिला। जिसका किराया 216 रुपये प्रतिमाह था। कालांतर में तात्कालिक उप मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा के सहयोग से 1971 में इसी भवन को एक रुपए वार्षिक की लीज़ पर तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री श्यामाचरण शुक्ल ने प्रेस क्लब को आवंटित कर दिया। उस दौरान प्रेस क्लब की सदस्यता राशि भी एक या दो रुपए ही थी, उसमें प्रेस क्लब के लिए साधन जुटाने के लिए जनता से सामग्री इकट्ठी की गई, उदारमना शहरवासियों ने उसमें सहयोग किया। अपनी स्थापना के आरंभिक वर्षों में प्रेस क्लब में पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित होते रहते थे। बाबा राहुल बारपुते जी ने 11 वर्षों तक प्रेस क्लब का नेतृत्व किया, बीच में 1968 में एक वर्ष दिनेश अवस्थी जी प्रेस क्लब के अध्यक्ष रहे। 1974 में राजेंद्र माथुर साहब प्रेस क्लब के अध्यक्ष बने।
व्यावसायिक क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 1968 में मई के अंतिम सप्ताह में ‘समाचार संकलन व संपादन’ की सात दिन तक वर्कशॉप को प्रेस इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के सहयोग से आयोजित किया गया था। इसी तरह राष्ट्रीय विपत्तियों के समय भी इंदौर प्रेस क्लब ने हमेशा अपने अस्तित्व का परिचय दिया, नवम्बर 1977 को आन्ध्रा में आए समुद्री तूफ़ान के बाद प्रेस क्लब ने तूफ़ान पीड़ितों के लिए शहर में जुलूस निकाला और हाथ में डिब्बा लेकर धनसंग्रह किया, उस दौरान लगभग 3682 रुपए की राशि संग्रहित हुई, जिसे तत्कालीन संभागायुक्त श्री राजकुमार खन्ना के माध्यम से मुख्यमंत्री कोष में भेजने के लिए प्रदान की गई व इसके साथ एकत्रित अनाज व कपड़े भी दिए गए। इसी तरह 1962 के चीनी आक्रमण के दौरान प्रेस क्लब के सदस्यों ने 1000रुपए व 100 ग्राम सोना जुटाकर तत्कालीन कलेक्टर को दिया।
इंदौर प्रेस क्लब सदा से ही दूरदृष्टि का परिचायक रहा है। 1965 में भारत-पाक युद्ध के समय अफ़वाहें चरम पर थीं, तब प्रेस क्लब ने अपना सूचना केन्द्र भी विकसित किया था।
कालान्तर में 1981 के आसपास इन्दौर प्रेस क्लब ने इन्दौर विश्वविद्यालय में पत्रकारिता पाठ्यक्रम आरम्भ करने के लिए भी प्रयास किए। प्रेस क्लब का विधान 21 मई 1981 को स्वीकृत हुआ, तत्पश्चात संस्था का पंजीयन 17 जून 1981 को हुआ। अप्रैल 1984 में प्रेस क्लब द्वारा पत्रकार कल्याण कोष की स्थापना की गई। इसी के साथ प्रेस क्लब परिसर में पुस्तकालय निर्माण व बगीचा बनाने के लिए भी तात्कालिक अध्यक्ष एवं कार्यसमिति ने कदम उठाए।
6 अगस्त 1989 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोतीलाल वोरा व केंद्रीय रेल राज्य मंत्री माधवराव सिंधिया के आतिथ्य में प्रेस क्लब भवन के विस्तार कार्य का शिलान्यास हुआ। धीरे-धीरे इन्दौर प्रेस क्लब शहर के मध्य आकार लेने लगा। इन्दौर प्रेस क्लब के संस्थापक अध्यक्ष बाबा राहुल बारपुते जी के शब्दों में कहें तो ‘प्रेस क्लब की आगामी यात्रा में अब गुणवत्ता का और अधिक ख़्याल रखा जाना चाहिए, इसी से हम पत्रकारिता की भी उन्नति करने में सहभागी होंगे।’
इसी के साथ इन्दौर प्रेस क्लब के विकास की इबारत का लिखना विस्तारित हुआ, वर्ष 2003 में भवन संबंधित कार्य आरंभ हुए, फिर 11 फरवरी 2008 को वसंत पञ्चमी के अवसर पर 50 लाख रुपए की लागत से निर्मित नवीन भवन का लोकार्पण हुआ जिसमें 3 सभागारों का निर्माण किया। इसके बाद इन्दौर प्रेस का परिसर जागृत और प्रांजल हो गया।
तब से लेकर आजतक इन्दौर प्रेस क्लब लगातार पत्रकारों व पत्रकारिता के उत्थान के लिए सक्रियता से कार्यरत है, हमेशा पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, व्याख्यानमाला, सम्मान समारोह, प्रेस से मिलिए, खेल स्पर्धाएँ, कैरम, शतरंज, टेबल टेनिस की स्पर्धाएँ आयोजित करना, पत्रकारों के बच्चों के लिए ख्यात कार्टूनिस्ट स्माइल लहरी जी कार्टून की वर्कशॉप आयोजित करना, नाट्यकला, संगीत संबंधित आयोजन लगातार प्रेस क्लब करता रहता है। क्लब द्वारा कोरोना के आपदाकाल में पीड़ित पत्रकार साथियों की हर संभव सहायता करना, अपने सदस्य ज़रूरतमंद पत्रकारों के लिए राशन किट इत्यादि देना, पत्रकार कल्याण कोष के माध्यम से इलाज हेतु राशि उपलब्ध करवाना, ऐसे कई कार्य करवाए जाते रहे हैं।
वर्तमान में पत्रकारों के लिए सुविधायुक्त कम्प्यूटर कक्ष, पुस्तकालय या कहें संदर्भ कक्ष स्थापित हैं।

इन्दौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष के रूप में अब तक श्री राहुल बारपुते (1962 से 1973, 1968 छोड़कर), श्री दिनेश अवस्थी (1968), श्री राजेन्द्र माथुर (1974 से 1978), श्री माणिकचंद वाजपेयी ‘मामाजी’ (1978 से 1980), श्री कृष्णकुमार अष्ठाना (1981 से 1983), श्री गोकुल शर्मा (1984 से 1986), श्री महेश जोशी (1986 से 1987), श्री विद्याधर शुक्ला (1987 से 1989) श्री जयकृष्ण गौड़ (1989 से 1991) श्री शशीन्द्र जलधारी (1991 से 1993), श्री ओमी खंडेलवाल (1993 से 2002), श्री जीवन साहू (2002 से 2003), श्री सतीश जोशी (2003 से 2005), श्री विकास मिश्र (2005 से 2006), श्री प्रवीण खारीवाल(2007 से 2016), श्री अरविंद तिवारी (2016 से वर्तमान) रहे हैं।
वर्ष 2022 में इन्दौर प्रेस क्लब की वर्तमान कार्यकारिणी में अध्यक्ष श्री अरविंद तिवारी, उपाध्यक्ष श्री प्रदीप जोशी व श्री दीपक कर्दम, महासचिव श्री हेमंत शर्मा, सचिव श्री अभिषेक मिश्रा, कोषाध्यक्ष श्री संजय त्रिपाठी व कार्यकारिणी सदस्य में श्री अंकुर जायसवाल, सुश्री करिश्मा कोतवाल, श्री प्रवीण बरनाले, श्री विपिन नीमा, श्री राहुल वाविकर, श्री अभय तिवारी व सुश्री प्रियंका पाण्डेय कार्यरत हैं।
इंदौर प्रेस क्लब की पहचान मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश में महनीय है, अपने पत्रकार साथियों की चिन्ता करने, उनके सुख-दुःख में सदैव साथ रहने की यह जिजीविषा प्रेस क्लब को अलग बनाती है। वर्तमान अध्यक्ष अरविंद तिवारी के नेतृत्व में क्लब ने कई स्तरीय आयोजन, प्रशिक्षण, साहित्यिक कार्यक्रमों के मानक भी तय करें, कोरोना जैसी विभीषिका के दौरान भी क्लब अपने पत्रकार साथियों का सम्बल बना। इसीलिए भी पत्रकारिता की राजधानी इंदौर का हस्ताक्षर है इंदौर प्रेस क्लब।

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
पत्रकार एवं स्तंभकार, इंदौर

इंदौर, मध्यप्रदेश
सम्पर्क- (+91-9893877455) | (+91-9406653005)
ईमेल: arpan455@gmail.com
वेबसाइट: www.arpanjain.com

[ लेखक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तथा देश में हिन्दी भाषा के प्रचार हेतु हस्ताक्षर बदलो अभियान, भाषा समन्वय आदि का संचालन कर रहे हैं।]

कौन हैं डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं।

आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। हाल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार के लिए डॉ. अर्पण जैन का चयन हुआ है। इसके अलावा आप सॉफ्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।