हमारी दांडी यात्रा सुबह जल्दी उठने से मेरा कोई विशेष लगाव नहीं है इसलिए जब मुझे बताया गया कि सूर्योदय के समय दांडी भ्रमण का विशेष आनंद है तो मैंने पूछा कि लगभग वैसा ही आनंद सूर्यास्त के समय नहीं रहता होगा? संतोषजनक स्पष्टीकरण ना मिलने से हमने दांडी शाम […]

बापू! अब भी अपने चरखे के साथ मिले डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ सैंकड़ो शहरों की यात्राओं के अनुभव, हज़ारों साहित्यिक आयोजनों में उपस्थिति, लाखों लोगों से मिलने के अवसर के साथ यायावर को जीवन में सबकुछ तो मिल रहा है पर कुछ यादें दस्तावेज़ बनकर जीवन के अभिप्राय को अलंकृत […]

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर राज्य का सबसे बड़ा शहर है जिसे भारत के पूर्वी हिस्से का सांस्कृतिक केंद्र माना जाता है। ऐतिहासिक मंदिर और अपनी गौरवशाली विरासत के कारण इस शहर को टेम्पल सिटी के रूप में भी जाना जाता है। यह शहर हिंदू, जैन और बौद्ध संस्कृति में विविधता […]

बोलपुर में शांतिनिकेतन, विश्वभारती और सृजनी शिल्पग्राम के भ्रमण के बाद हमारा अगला लक्ष्य कंकालितला मंदिर के दर्शन का था… माँ काली को समर्पित यह प्रसिद्ध मंदिर बोलपुर से करीब 10 किमी की दूरी पर स्थित है… पश्चिम बंगाल लोक कला और संस्कृति के साथ धार्मिक आस्था का भी प्रमुख […]

पश्चिम बंगाल लोक कला और संस्कृति के मामले में एक समृद्ध राज्य है…शांतिनिकेतन यात्रा संस्मरण की कड़ी में पश्चिम बंगाल के ‘बाउल संगीत’ का जिक्र भी जरूरी है…यह संगीत यहां की विरासत है…इस संगीत ने यहां के सांस्कृतिक जगत में बहुत कुछ जोड़ा है… बाउल संगीत ऐसा है कि सीधे […]

कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव की जरूरत महसूस करते थे। उनके मन में एक ऐसे संस्थान की परिकल्पना थी जहां शिक्षा का मतलब केवल किताबों में सिमटना न हो। वे चाहते थे बच्चे बंद कमरों से बाहर निकलकर प्रकृति के साथ जुड़ना सीखें। कहीं उन्होंने लिखा भी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।