हिमालय सा हौसला
गंगा सी पवित्रता है
भारत के बच्चे-बच्चे
के जहन में भारत माता है।
ये दर्द नहीं चिंगारी है
गुजर रहा एक-एक पल
हर हिन्दुस्तानी पर भारी है
नम आंखे को यकी है
आने वाला तूफान अभी बाकी है।
नजर टिकती नही
हर जुबा खामोश है
दिल को उम्मीद है
दुश्मनो के शहर को
अभी तबाह होना बाकी है।
कोई अड़चने हिला नहीं सकती
चंद मुश्किले डिगा नहीं सकती
बूरी नजर रखने वाले
हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकती।
याद करो 71 को जब
औकात तुम्हें दिखाई थी
कई लाख सैनिकों को
अपने पैरों पर झुकायी थी।
याद करो कारगिल को
जब सैनिकों को मरता
छोड़कर भागा था
भारत के वीर सपूतो ने
ही जिनको धूल चटाया था।
छप्पर भी नहीं था सर पर
गर याद करोगे हमारे
दिए गए एहसानो को
भली भाँति जानता हूँ
तेरी मक्कारी भरी अरमानो को।
याद करो भूल गए वो
किए गए सर्जिकल स्टाइक
तब भी तो मूकर गया था
सबूतो के कारण तू नही
सारी दुनिया हिल गया था।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति