सुनो सिंहासन के रखवाले !

0 0
Read Time3 Minute, 13 Second

aalok pandey
(जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतिपुरा में आतंकी हमले में हुतात्मा वीरों के याद में शासनतंत्र को कर्तव्यबोध दिलाती एक कवि की भावपूर्ण कविता –)

कह रहा स्तब्धित खड़ा हिमालय, घुटता रो-रो सिंधु का नीर,
हे भारत के सेवक जगो, क्यों मौन सुषुप्त पड़े अधीर !
क्रुर प्रहार झंझावातों में, जीवन नैया धीरों की डूब गयी,
विस्फोटों को सहते-सहते , जनमानस उद्वेलित अब उब गयी ।
ले उफान गंगा की व्याकुल धारा , छोड़ किनारा उछल रही ;
नर्मदा दुख से आहत हो , युद्ध हेतु दृढ़ सबल दे रही ।
जिहादों से घूट-घुट , हर दिन वीर मरे जाते हैं,
विस्फोटों के धुएं में हर धीर कटे जाते हैं ।
आज वीर मरे जो हैं , धैर्य देश का डोला है ,
शासन की कर्तव्य बोध को जनमानस ने तोला है ।
बिलख रही कुमकुम रोली, बिलख रही नूपुर की झंकार,
बिलख रही हाथों की चूड़ियाँ , हाय ! बिलख रही मृदु कंठ-हार ,
बिलख रही धरा झंझावातों से, बिलख रही नयन नीर-धार ;
बिलख रही कैसी सौम्य सुरम्य प्रकृति , बिलख रही अखंड सौम्य श्रृंगार !

कारगिल की शौर्य पताका , नभोमंडल में डोल रही,
हे भारत के कर्णधार युद्ध कर अब बोल रही !
डोली शौर्य पताका वीर शिवा की, हल्दीघाटी भी डोली है ,
बिस्मिल की गजलें भी डोली , डोली वीर आजाद की गोली है ।
वीरों की माटी की धरती , अपने गद्दारों से डोल रही ;
अकर्मण्य , अदूरदर्शी , सत्तालोलुपों से , कड़क भाषा अब बोल रही !

हे सिंहासन के रखवाले , करो याद कर्तव्य करो विचार ,
सिसक रहा है सारा देश , सर्वत्र मची है करूण पुकार ,
धरणी सीमाओं पर तांडव करती , कैसी मानव की पशुता साकार ;
क्या व्यर्थ जाएगा यह बलिदान या कर पाओगे अमोघ प्रतिकार !

माथे का कलंक भयावह , जगे शौर्य कंटक दंश मिटे ;
शत्रु को धूल-धूसरित कर , फिदायीन जालों के पंख कटे ।
आतंक मिटाने में बाधक , किसी का मत तथ्य सुनो तुम ;
जिहादियों को राख कर दे , स्वाभिमानी उपक्रम चुनो तुम !
महा समर की बेला है , ले पाञ्चजन्य उद्घोष करो ;
शत्रु को मर्दन करने को , त्वरित आर्ष भाव में रोष भरो ।
सेना को आदेश थमा दो , भयावह विप्लव ध्वंस मचाने को ;
अपने गद्दारों सहित समूचे आतंकिस्तान विध्वंस कराने को ।
अखंड भारत अमर रहे !

#आलोक पाण्डेय
( वाराणसी )

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

रे पाकिस्तान बेहाया

Sat Feb 16 , 2019
रे पाकिस्तान बेहाया ~~ तुझे भारत माँ ललकार रही है , पुलवामा मे हमला करके , बेशर्मी दिखाने वालो , नीच कहाने वालो , रे पाकिस्तान बेहाया ~~~ अब तू न बच सकोगे , और न तू अब जी सकोगो , तुम्हे चाहे साथ दे अमेरिका या चीन , फिर […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।