महफ़िल वो तेरी

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गैर हुए तेरे अपने अब, और ये अपने आज बेगाने हो गए!
कलम रो पड़ी है “मलिक”,और वो गैरों के दीवाने हो गए!!

महफ़िल वो तेरी थी जहां, किसी ने बेइज्जत हमें किया था!
खड़ा था तू गैरो के साथ,कैसा अपनेपन का सिला दिया था!
बहुुत खामोशी से मेरे दिल ने, वहां घूंट जहर का पिया था!
अंधेरा था मेरी जिंदगी में, तू तो गैरों की बाती का दिया था!!
हमारी अंधी मोहब्बत के , सरेआम ये कैसे फसाने हो गए!
गैर हुए तेरे अपने अब, और ये अपने आज बेगाने हो गए!

वो खामोशी मेरी कमजोरी नही,तेरी इज्जत का ख्याल था!
मेरी आँखों मे आंसू थे और, तू गैरों के नशे में निढाल था!
मैंने तब भी हाथ थामा जब, तेरे किस्से का हाल बेहाल था!
क्यो दोष दूं आज तुझे मैं, अरे जा यार तू तो बेमिसाल था!!
अंधेरे सी हो गयी हूँ मैं, वो शमा पर जलते परवाने हो गए!
गैर हुए तेरे अपने अब, और ये अपने आज बेगाने हो गए!

गैरों का पलड़ा आज भारी है, और खोल ली तूने अदालत।
आज कटघरे में खड़ी कर मुझे, करने लगा उनकी वकालत!
“मलिक” पल भर में हुई पराई, कर बैठा तू इससे बगावत!
मुबारक हो तुझको वो रंगीनियां, रहे तेरी दुनिया सलामत!
तबाह हुआ मेरा भरोसा, नए आज उनके ठिकाने हो गए!!
गैर हुए तेरे अपने अब और ये अपने आज बेगाने हो गए!

#सुषमा मलिक “अदब”
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।