कांग्रेसमुक्त भारत या मोदीमुक्त भारत ?

0 0
Read Time3 Minute, 45 Second
vaidik
कांग्रेसमुक्त भारत का नारा देनेवाले नरेंद्र मोदी को क्या अब मोदीमुक्त भारत के लिए तैयार होना होगा ? इन पांचों राज्यों में अभी जो चुनाव लड़े गए हैं, वे किसके नाम पर लड़े गए हैं ? किस चेहरे को सबसे बड़ा चेहरा दिखाया गया है ? किसकी उपलब्धियों के ढोल पीटे गए हैं ? उन नेताओं के नहीं, जो इन प्रदेशों के मुख्यमंत्री थे या पार्टी-अध्यक्ष थे। बल्कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह के ! मोदी और शाह से भी वरिष्ठ रहे भाजपा के नेताओं को भी इन चुनावों में कोई खास महत्व नहीं मिला। तो अब जो नतीजे आए हैं, उनका ठीकरा आप किसके माथे पर फोड़ेंगे ? ऐसा नहीं है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने प्रदेशों में जमकर काम नहीं किया है। यदि नहीं किया होता तो मप्र और राजस्थान में उन्हें जितनी सीटें मिली हैं, उनसे आधी भी नहीं मिलतीं। जैसा कि छत्तीसगढ़ में हुआ है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की भयंकर पराजय के स्थानीय कारण भी हैं लेकिन सभी पांचों राज्यों में- तेलंगाना और मिजोरम में भी भाजपा की दुर्गति का आखिर कारण क्या है ? इसका कारण है, पिछले साढ़े चार साल का मोदी राज। 2014 में भारत की जनता ने मोदी को यह समझकर सत्तारुढ़ किया था कि अब एक नए भारत का निर्माण होगा लेकिन उसे क्या मिला ? सिर्फ लच्छेदार भाषण, अखबारों में मोटे-मोटे विज्ञापन और विरोधी नेताओं के लिए घटिया भाषा का प्रयोग ! देश की कई प्रतिष्ठित संस्थाओं की हैटी हुई। सर्वोच्च न्यायालय, रिजर्व बैंक, सीबीआई, चुनाव आयोग, नीति आयोग, रक्षा मंत्रालय के सौदे आदि और भी क्या-क्या मामले विवादास्पद नहीं हुए ? भाजपा का आतंरिक लोकतंत्र जाकर ताक़ पर बैठ गया है। ‘‘दुनिया की यह सबसे बड़ी पार्टी’’, भाई-भाई पार्टी बनकर रह गई है। नरेंद्र भाई और अमित भाई ने मिलकर भारत में यह जो ‘‘नया लोकतंत्र’’ खड़ा किया है, ये चुनाव-परिणाम उसकी सजा है। पांच साल पहले अपने भाषणों में मैं कहा करता था कि मोदी को प्रधानमंत्री बनानेवाले हैं, मनमोहनसिंह और सोनिया गांधी ! अब पिछले तीन-चार साल से मैं कह रहा हूं कि इन दोनों नेताओं का कर्ज मोदी ब्याज समेत चुकानेवाले हैं। उन्होंने ऐसे हालत पैदा कर दिए हैं कि विरोधियों के पास चाहे कोई नेता और नीति न हो तो भी जनता उनके गले में हार पहना देगी। मोदी के अहंकार की सजा भाजपा और राष्ट्रीयस्वयंसेवक भुगतेगा। भाजपा की मजबूरी है कि अगले पांच-छह माह में वह मोदीमुक्त नहीं हो सकती लेकिन 2019 का चुनाव भारत को मोदीमुक्त जरुर कर सकता है। उसकी शुरुआत हो गई है।
#डॉ. वेदप्रताप वैदिक

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

हिंदी प्रदेशो में भाजपा का बिखरना भाजपा के लिए चिंता का विषय

Wed Dec 12 , 2018
ये पब्लिक है  सब जानती है । भाजपा का परंपरागत वोट बैंक हिंदी भाषी प्रदेश रहे है , इसे इस तरह नही लिया जा सकता कि कांग्रेस ने उसमे सेंध लगा दी अपितु इसे इस तरह लिया जाना चाहिए कि घर के बुजुर्ग ने लाठी दिखा कर अपने वंशज को […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।