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ये पब्लिक है सब जानती है ।
भाजपा का परंपरागत वोट बैंक हिंदी भाषी प्रदेश रहे है , इसे इस तरह नही लिया जा सकता कि कांग्रेस ने उसमे सेंध लगा दी अपितु इसे इस तरह लिया जाना चाहिए कि घर के बुजुर्ग ने लाठी दिखा कर अपने वंशज को राह अग्रसर की है सामने लोकसभा खड़ी थी , तीन राज्यो के चुनाव दहलीज पर आ खड़े हुए, दिशा देना थी सो दे दी ,अब आगे समझदार हो सम्हलो और रास्ता तय करो ।
परिणाम चौकाने वाले बिल्कुल नही है , जिस तरह की खामोशी आम मतदाता की सभी जगह देखी गयी वो इस तरफ इशारा करने लिए पर्याप्त थी कि कहाँ गयी विचारधारा की राजनीति क्यो स्टैंड बदल रहे हो जो विचारधाराएं विरासत में मिली थी जिनके बुते जनाधार हासिल किया था उसे गौण कर कहाँ निकल के जाना है । दो लोग रास्ता तय करते है मंजिल एक ही है पर रहनुमा जो साथ आते है वो विचारधारा से प्रभावित होकर साथ आते है न कि मंजिल के मद्देनजर फिर आपने क्यो स्टैंड बदल लिया कमोबेश भाजपा के लिए तो यह बिंदु सोचनीय है । एस्ट्रोसिटी हो या धर्म का मामला हो , हनुमान का जाती प्रमाण पत्र हो अथवा कश्मीर मुद्दा ,राम मंदिर तो आपके लहू में बहता देख कुछ समुदाय आपसे अपने को जुड़ा मानता था । फिर आपने अपना बदला नजरिया क्यो पेश किया । मुझे ज्ञात है , उमा भारती जी को चेहरा रख मध्यप्रदेश में आप सत्ता विरोधी लहर के बाद काबिज हुए थे , विकास करके आपने आपने अपने को साबित किया , लोगो के दिलो में जगह बनाई सारे बिंदु भुला दिए गए , अचानक अपने चिरपरिचित अंदाज को बदल कर आप केवल अपना दायरा बदलने या कहें कि बढ़ाने के चक्कर मे घनचक्कर बन गए , जनता में संदेश गलत गया आपका स्टैंड जनता के समझ के परे गया , वो कंफ्यूज हुए और परिणाम आपके सामने है । ये समझना जरूरी हो गया कि जनता ने स्पष्ट बहुमत दोनो ही दलों को नही दिया छत्तीसगढ़ को छोड़ दे तो राजेस्थान और मध्यप्रदेश में बहरहाल यही देखने को मिला जी यहाँ वो सत्ता विरोधी लहर नही थी जो कि छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य को बहा कर ले गयी । यहाँ की सीमाएं और छत्तीसगढ़ की सीमाओं में फर्क रहा है गुजरात राजेस्थान मध्यप्रदेश , ये उत्तर प्रभावी राज्य रहे है , वही उत्तर प्रभावी जिनका रास्ता दिल्ली होकर जाता है , फिर जिसमे मध्यप्रदेश कृषि आधारित राज्य है वहीं राजेस्थान भारत की धार्मिक , संतो की भूमि रही है । अब समीक्षाकारो को इन सब बिंदुओं पर समीक्षा आरम्भ करना चाहिए की आखिर।चूक कहाँ हुई , जनता के हृदय को टटोलना जरूरी है , आखिर ये पब्लिक है सब जानती है ।
#कपिलेश शर्मा “कपिल”
परिचय – सेंधवा, जिला बड़वानी मध्यप्रदेश निवासी कपिलेश शर्मा ‘कपिल’ वरिष्ठ पत्रकार एवं चिकित्सक है |
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Wed Dec 12 , 2018
मेरा प्यारा भारत ऐसा हो , जहाँ गंगा जमुनी तहज़ीब पले , धर्म के नाम पर ना हों दंगे, हर चेहरे पर मुस्कान खिले। बेईमानी भ्रष्टाचार के दीमक से, हो जाए मुक्त भारत प्यारा, गरीबी बेरोजगारी दूर हटे, ना रहे कोई खुद से हारा। मेरा देश ना बने कभी , […]