हिंदी प्रदेशो में भाजपा का बिखरना भाजपा के लिए चिंता का विषय

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kapilesh sharma
ये पब्लिक है  सब जानती है ।
भाजपा का परंपरागत वोट बैंक हिंदी भाषी प्रदेश रहे है , इसे इस तरह नही लिया जा सकता कि कांग्रेस ने उसमे सेंध लगा दी अपितु इसे इस तरह लिया जाना चाहिए कि घर के बुजुर्ग ने लाठी दिखा कर अपने वंशज को राह अग्रसर की है सामने लोकसभा खड़ी थी , तीन राज्यो के चुनाव दहलीज पर आ खड़े हुए, दिशा देना थी सो दे दी ,अब आगे समझदार हो सम्हलो और रास्ता तय करो ।
परिणाम चौकाने वाले बिल्कुल नही है , जिस तरह की खामोशी आम मतदाता की सभी जगह देखी गयी वो इस तरफ इशारा करने  लिए पर्याप्त थी कि कहाँ गयी विचारधारा की राजनीति क्यो स्टैंड बदल रहे हो जो विचारधाराएं विरासत में मिली थी जिनके बुते जनाधार हासिल किया था उसे गौण कर कहाँ निकल के जाना है ।  दो लोग रास्ता तय करते है मंजिल एक ही है पर रहनुमा जो साथ आते है वो विचारधारा से प्रभावित होकर साथ आते है न कि मंजिल के मद्देनजर फिर आपने क्यो स्टैंड बदल लिया कमोबेश भाजपा के लिए तो यह बिंदु सोचनीय है । एस्ट्रोसिटी हो या धर्म का मामला हो , हनुमान का जाती प्रमाण पत्र हो अथवा कश्मीर मुद्दा ,राम मंदिर तो आपके लहू में बहता देख कुछ समुदाय आपसे अपने को जुड़ा मानता था । फिर आपने अपना बदला नजरिया क्यो पेश किया । मुझे ज्ञात है , उमा भारती जी को चेहरा रख मध्यप्रदेश में आप सत्ता विरोधी लहर के बाद काबिज हुए थे , विकास करके आपने आपने अपने को साबित किया , लोगो के दिलो में जगह बनाई सारे बिंदु भुला दिए गए , अचानक अपने चिरपरिचित अंदाज को बदल कर आप केवल अपना दायरा बदलने या कहें कि बढ़ाने के चक्कर मे घनचक्कर बन गए , जनता में संदेश गलत गया आपका स्टैंड जनता के समझ के परे गया , वो कंफ्यूज हुए और परिणाम आपके सामने है । ये समझना जरूरी हो गया कि जनता ने स्पष्ट बहुमत दोनो ही दलों को नही दिया छत्तीसगढ़ को छोड़ दे तो राजेस्थान और मध्यप्रदेश में बहरहाल यही देखने को मिला जी यहाँ वो सत्ता विरोधी लहर नही थी जो कि छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य को बहा कर ले गयी । यहाँ की सीमाएं और छत्तीसगढ़ की सीमाओं में फर्क रहा है गुजरात राजेस्थान मध्यप्रदेश , ये उत्तर प्रभावी राज्य रहे है , वही उत्तर प्रभावी जिनका रास्ता दिल्ली होकर जाता है , फिर जिसमे मध्यप्रदेश कृषि आधारित राज्य है वहीं राजेस्थान भारत की धार्मिक , संतो की भूमि रही है । अब समीक्षाकारो को इन सब बिंदुओं पर समीक्षा आरम्भ करना चाहिए की आखिर।चूक कहाँ हुई , जनता के हृदय को टटोलना जरूरी है , आखिर  ये पब्लिक है सब जानती है ।
#कपिलेश शर्मा “कपिल” 
परिचय – सेंधवा, जिला बड़वानी मध्यप्रदेश निवासी कपिलेश शर्मा ‘कपिल’ वरिष्ठ पत्रकार एवं चिकित्सक है |

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।