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भूख तुम कुछ भी हो
कविता नहीं हो/
कहानी,ग्रंथ,निबंध भी नहीं;
सब भोथरे है तुम्हारे आगे,
बदलती रही है प्रासंगिकता इनकी
समय के साथ /
तुम नहीं बदली
तुम्हारा होना ही प्रमाण है,
तुम्हारी अमरता का
सदियों से विचरती रही
तन मन धन के वास्ते
कभी “मधु” के चावल में
कभी “संतोषी” के भात में;
दुखो के सभी आयाम नतमस्तक खड़े है
“पेट की भूख” के आगे,
दुनिया आग इकट्ठा कर रही
सिक रही भावनायें
सुलग रहीं मानवता की साँसे
फिर सिकेगीं रोटियां पेट की आंच में,
रोटियो पर बैठेगी संसद
कलम फिर उतरेगी तरकश में/
आँसू अँगुलियों में होंगे
लेकिन रोटी कहीं नहीं होगी
सलाम अपराजिता ।
नाम-अतुल कुमार पाण्डेय ‘यायावर’
पता-ग्राम पोस्ट बभनौली पाण्डेय,थाना-लार जिला देवरिया उत्तर प्रदेश।
शिक्षा-गणित परास्नातक,शिक्षा स्नातक
कार्यक्षेत्र-प्रवक्ता,श्री रैनाथ ब्रह्मदेव स्नातकोत्तर महाविद्यालय सलेमपुर देवरिया उत्तर प्रदेश
विधा-कविता
सम्मान-कमल की कलम से ‘मजदूर’ कविता केलियेसम्मानित
प्रकाशन-हिन्द युग्म प्रकाशन से हाईकु संग्रह “शत हाईकुकार”२०१६ मे प्रकाशित।
“कविता मेरे लिये भाव सम्यक दृष्टि है”
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Wed Sep 12 , 2018
मैं हिंदी, संस्कृत की आत्मजा हूं और भारत के अनेक क्षेत्रीय भाषाओं की बड़ी बहन हूं। विश्व में भारत वर्ष की राष्ट्र भाषा के रूप में जानी जाती हूं।देश और समाज के अनेक प्रणेता तथा साहित्यकार व कलाकार मुझे माध्यम बनाकर अक्षय कीर्ति एंव ऐश्र्वर्य के भागी बनें हैं।बच्चे इतिहास, […]