तू मेरे एकान्त का एकान्त है कैसे कह दूँ कि मुझे प्यार नहीं साँसों की लड़ियों में गुँथे हुऐ लम्हों के मनके मुझे प्रेम प्रस्ताव ज्ञापित करते हैं क्यों कह दूँ कि मुझे स्वीकार नहीं, शब्द निरस्त हो जाते हैं अधरों पर आकर जैसे लहरें साहिल पर तन्य तारों के […]

  भूख तुम कुछ भी हो कविता नहीं हो/ कहानी,ग्रंथ,निबंध भी नहीं; सब भोथरे है तुम्हारे आगे, बदलती रही है प्रासंगिकता इनकी समय के साथ / तुम नहीं बदली तुम्हारा होना ही प्रमाण है, तुम्हारी अमरता का सदियों से विचरती रही तन मन धन के वास्ते कभी “मधु” के चावल […]

तन वृन्दावन हो गया,मन पूरा ब्रजधाम। सांस-सांस राधा रटे,धड़कन-धड़कन श्याम॥ ब्रजरज की महिमा भला,समझ सका है कौन। राधा-राधा रट रहा,जिसका कण-कण मौन॥ जब-जब तेरे द्वार पर,आया मेरे श्याम। रसिक शिरोमणि कर दिया,तूने मन ब्रजधाम॥ राधा के आँसू लिए,रोता है अविराम। प्राणों के ब्रजधाम में,आ जाओ घनश्याम॥         […]

  मुरली,माखन,प्रीति  है,कृपा मिले अभिराम। ब्रजवासी फिर मुक्ति क्यों,चाहेगा घनश्याम!॥ जड़-चेतन,चर-अचर सब,मोहे खोकर ध्यान। हुई अचेतन सृष्टि सब,सुन मुरली की तान॥ भागीं मधुवन के लिए,बूढ़ी,बाल-जवान। हुईं गोपियाँ बावलीं,सुन मुरली की तान॥ झूमें,नाचे चर-अचर,भूल देश,गति,काल। कान्हा की बंशी बुने,सम्मोहन का जाल॥                     […]

तेरे प्रेमी भक्त हैं,कान्हा!कई करोड़। सबके मन से किस तरह,करते हो गठजोड़? मधुबन्ती ब्रजभूमि में,कान्हा मधु का धाम। मधुमय वंशी स्वर सरस,मधुमय राधा नाम॥ रुदन देती कभी,देती हँसी ललाम। कान्हा!तेरी बाँसुरी,गूंज रही अविराम॥ छोड़ गए ब्रज में रुदन,पीड़ा,व्यथा अनंत। कहो द्वारिकाधीश! कब,होगा इनका अंत ?॥           […]

कण-कण राधा-रस सना, तृण-तृण श्याम -स्वरूप। क्षण-क्षण छवि छलके मधुर, रंग राग  रसरूप॥ मन होगा मुरली मधुर, तन  वृंदावन धाम। आएंगे तब प्राण में,  रसवर्षी घनश्याम॥                                                 […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।