आज कि कविता एक नितान्त भाव है. जहाँ मैं पुरुष समाज की मांसिक स्तिथि को समझने की कोसिस कर रही हूं. कल मेरा सात साल का बेटा मुझसे पूछ बैठा, माँ तुम सबसे ज्यादा प्यारी किसे करती हो, उस वक़्त मै वात्सल्य मे डूबी असीम आनंद से सरोबार थी. मैने […]

         हमारे अन्दर दो रावण छुपे हुए हैं एक वो जो रामायण को देखकर आया है दूसरा वो जो छुपा -छुपा सा रहता है यदा -कदा ही वो दर्शन देता है पहला रावण, रावण होने का दम्भ भरता है वही दूसरा अकसर राम होने का ढोन्ग करता है पहला रावण […]

एक बार हिन्दी अपने घर मे बहुत ऐस्वर्य से रह रही थी. हिन्दी का बहुत बड़ा  साम्राज्य था. हिन्दी अत्यंत उदार थी. उसकी भावनाए अत्यंत उच्च थी. “वसुधैव कुटुंब ” और “अतिथि देवो भव “उसके सिधान्त थे. हिन्दी की ख्याती दूर -दूर तक थी दूर परदेश मे अंग्रेजी रहती थी […]

ज़िन्दगी भी अज़ीब रंग दिखाती है, जो अपना हो नहीं सकता उसके पास ले जाती है। क्यों,ऐसे मोड़ पर छोड़कर चली गई मुझको, कि मैं चाहकर भी….. कुछ चाह नहीं सकती। कुछ बातों पर अपना बस नहीं चलता, वो तो यूं ही हो जाया करती हैं। तेरी दुनिया के रुप […]

‘अंतरराष्ट्रीय कविता दिवस विशेष’ अंतर्मन की, अभिव्यक्ति है मनोभावों की, सार्थक नियति है कविता। हर्ष विषाद, सबको उकेरे कविता.. हर लम्हे, को जीवंत करे कविता। कभी, अलंकारों से श्रंगारित कविता.. कभी, सादगी से सहज उपजती कविता। मौन, को मुखरित करती कविता.. शब्दों, को लय में पिरोती कविता। इंद्रधनुषी, रंगों का सृजन […]

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केसरिया कुसुमशोभित वाटिका है यहाँ, वसंत इठलाकर अब तुम चले कहाँ ? वासंती चुनर ओढ़े प्रमिल ऋतु खिली यहाँ, प्रणय के पल संग लिए अब तुम चले कहाँ ? प्रीत की स्वरलहरियों पर गूँजा निनाद करती यहाँ, मधुर रुनझुन गीत नुपुर के लिए अब तुम चले कहाँ ? तनिक ठहरो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।