हमारे अन्दर दो रावण छुपे हुए हैं
एक वो जो रामायण को देखकर आया है
दूसरा वो जो छुपा -छुपा सा रहता है
यदा -कदा ही वो दर्शन देता है
पहला रावण, रावण होने का दम्भ भरता है
वही दूसरा अकसर राम होने का ढोन्ग करता है
पहला रावण अपने
रावण होने पर clear है
दूसरा रावण
अपने रावण होने पर canfused है
पहला रावण सीता की अस्मिता पर
प्रहार नही कर सकता
क्योंकि वह शापित है
अतः वह विवश है
दूसरा वाला रावण न शापित है,
न विवश है
बस राम होने के कारण
थोडा सा मर्यादित है
थोडा सा सयमित है
पहला रावण दूसरे रावण को देखकर
अट्ट -टाहस करता है
और उसकी मांसिक दुर्बलता पर,
काम -बान से प्रहार करता है
दूसरा वाला रावण कामबान से
ढेर हो जाता है,
और औरत को अकेला पा
बलात्कारी हो जाता है
पहला वाला रावण विजय स्वर मे
गर्जना करता है
क्योंकि उसने मूर्छा वाला कामबान चलाया था
वही दूसरे रावण के अंदर का,
राम जाग जाता है,
और वो कुंठित मन से उठ जाता है
हम अंदर दो दो रावण को पाल रहे हैं
और बाहर
सीता के लुट्ने का मातम मना रहे हैं
नाम- श्वेता जायसवाल
साहित्यिक उपनाम -श्वेता
वर्तमान पता -मण्डला (म. प्र.)
राज्य -म. प्र.
शहर -मण्डला
शैक्षणिक योग्यता -स्नातक
कार्य क्षेत्र -ग्रहणी
विधा -कविता मुक्तक
उपलब्धि -youtuber
लेखन का उद्देश्य -name ,fame, money