हिन्दी पुत्र

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एक बार हिन्दी अपने घर मे बहुत ऐस्वर्य से रह रही थी. हिन्दी का बहुत बड़ा  साम्राज्य था. हिन्दी अत्यंत उदार थी. उसकी भावनाए अत्यंत उच्च थी. “वसुधैव कुटुंब ”
और “अतिथि देवो भव “उसके सिधान्त थे. हिन्दी की ख्याती दूर -दूर तक थी

दूर परदेश मे अंग्रेजी रहती थी .एक दिन अंग्रेजी ने हिन्दी के ऐश्वर्य का डंका सुना, और वो हिन्दी से मिलने को आतुर हो गयी. वो अपने ऐश्वर्य का डंका लेकर हिन्दी के घर पहुँची ,उसने हिंदी के द्वार खट्खटाए. हिन्दी ने बहुत बडप्न से उसका स्वागत किया.

         हिन्दी का उसके घर मे ऐस्वर्य और साम्राज्य देख अंग्रेजी के मन मे उसे हड़प करने का लालच आ गया. उसने हिन्दी का ओहदा अपनाने की भरसक कोशिश की. पहले उसने हिन्दी को तरह -तरह के प्रलोभन दिये, उसे मार्ग से विमुख करने की कोशिश की, पर हिन्दी देव वानी थी, वो उसके  बह्कावे मे न आई.

          तो उसने लालच के विष की कुछ बूँदे हिन्दी के भोजन मे मिलाई और चुपके से हिन्दी को पिला दी, हिन्दी का दम घुटने लगा.

           तभी वहां हिन्दी की मां संस्कृत आई, वो उसे वैद्य के पास ले गयी. वैद्य ने हिन्दी की जान तो बचा ली, लेकिन जहर गहरे तक असर कर चुका था इसलिए हिन्दी की हालत गंभीर हो गयी,.

           अंग्रेजी ने उसका ओहदा अपना लिया और उसे उसके घर मे ही बन्दी बना लिया. बेचैन माँ संस्कृत ने वैद्य जी से पूछा कि क्या हिन्दी कभी अंग्रेजी के चंगुल से आजाद नही होगी, तो वैद्य जी ने कहा कि हिन्दी हाल ही मे माँ बनी है, जिस दिन इसका बेटा “आत्म विश्वास बडा हो जायेगा, वो अपनी माँ को अंग्रेजी के चंगुल से निकाल लेगा. और एक दिन फ़िर उसका ऐस्वर्य होगा.

            और वो दिन आ चुका है.

                                                     #श्वेता जायसवाल

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।