जब कभी जाता हूँ श्मसान, दिखते हैं दिन में कुछ अपने। कुछ बहुत ख़ास से लोग, कुछ प्यारे नाते-रिश्तेदार, कुछ मेरे पुराने दोस्त-यार, पर नज़र आता नहीं वर्तमान। चिता से उठती हुई लौ-लपटें, चिता में डलता हुआ घी-कपूर, और चंदन की लकड़ी के टुकड़े, सब बताते हैं अनेकता में एकता। […]

पितृ दिवस पर विशेष जो अपना दर्द सब से छुपाकर रख लेता है, आँखों के आँसू पीकर के हँस लेता है। धूप, छाँव, आँधी, तूफ़ान, ठोकरें, कर्त्तव्य समझकर झेल लेता है, ज़रूरत हो सब की पूरी इस संघर्ष में उठते-बैठते चैन नहीं लेता है। बच्चों के शौक पूरे करने में […]

जीभ उसकी कटी और गूंगा सारा जहां हो गया जिस्म उसका तार तार हुआ निर्वस्त्र सारा जहां हो गया रीड की हड्डी उसकी टूटी और अपाहिज सारा जहां हो गया इस मन की महाभारत का संजय कोई नहीं था यहां और धृतराष्ट्र सारा जहां हो गया रात के अंधेरे में […]

एक वीरान से पथ के जैसे हैं हम, एक टूटी हुई नथ के जैसे हैं हम, प्रेम के घाट तक लेकर आता था जो, उस रथी से रहित रथ के जैसे हैं हम। एक उजड़े हुए बाग़ जैसे हैं हम, चाँद पर उस लगे दाग़ जैसे हैं हम, हाशिए पर […]

कुछ मोती चुराए थे कभी समंदर से अथाह लहरों के बीच बड़ा मुश्किल था उन सीपों को बटोर पाना कुछ हाथ आए, कुछ बह गए उतने मोती भी न बटोर सकी कि माला पिरो लेती पर हाँ, हाथ का कंगन ज़रूर बना लिया और कानों के झुमके पर कसक अभी […]

असंख्य सृजन साहित्य कलाओं, का सक्षम परिमाण है भारत। उत्कृष्ट धर्म ग्रन्थ व उपनिषदों का, प्रत्यक्ष प्रमाण है भारत। ललित कलित सी भिन्न विधाओं , का सुंदर आयाम है भारत, सर्वसुसज्जित संस्कृतियों का, पावनतम यह धाम है भारत। रूप रंग बोली भाषा, ढंग रिवाज़ है अलग-अलग। अलग-अलग ही है विचार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।