एक वीरान से पथ के जैसे हैं हम, एक टूटी हुई नथ के जैसे हैं हम, प्रेम के घाट तक लेकर आता था जो, उस रथी से रहित रथ के जैसे हैं हम। एक उजड़े हुए बाग़ जैसे हैं हम, चाँद पर उस लगे दाग़ जैसे हैं हम, हाशिए पर […]

कुछ मोती चुराए थे कभी समंदर से अथाह लहरों के बीच बड़ा मुश्किल था उन सीपों को बटोर पाना कुछ हाथ आए, कुछ बह गए उतने मोती भी न बटोर सकी कि माला पिरो लेती पर हाँ, हाथ का कंगन ज़रूर बना लिया और कानों के झुमके पर कसक अभी […]

असंख्य सृजन साहित्य कलाओं, का सक्षम परिमाण है भारत। उत्कृष्ट धर्म ग्रन्थ व उपनिषदों का, प्रत्यक्ष प्रमाण है भारत। ललित कलित सी भिन्न विधाओं , का सुंदर आयाम है भारत, सर्वसुसज्जित संस्कृतियों का, पावनतम यह धाम है भारत। रूप रंग बोली भाषा, ढंग रिवाज़ है अलग-अलग। अलग-अलग ही है विचार […]

योग दिवस पर वे बेचारे बहुत अफसोस कर रहे हैं जो योग नहीं कर पाए फेसबुक के लिए फोटो भी नहीं मिला। अगर आप मिडिल क्लास से आते हैं और ‘जी’ रहे हैं तो आपसे बड़ा ‘योगी’ कौन? जिंदगी की योगा क्लास कभी खत्म नहीं होती आप एक आसन की […]

ध्यान का पुंज है ज्ञान का कुंज है शब्दभावों की अठखेली है अंत:प्रेरणा से बह निकली है कविता मेरी अंतरंग सखी है कि जगा देती है कभी भी हाथ पकड़ कर उठा देती है कलम थमा जता देती है कि उसे भावों की दुशाला ओढ़ वक्त के शिलालेख पर सजना […]

शत–प्रतिशत सच है, कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। न देखी जाती है उम्र, स्वयं की और न सामने वाले की। बस होनी चाहिए, मन के एक कोने में ललक, संग कुछ पाने की जिज्ञासा। हाॅं…. सीखा जा सकता है, एक छोटे बच्चे से। सीख सकते हैं बुज़ुर्ग से, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।